– केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ कर रहे हैं बयानबाजी
हरीश तिवारी@लखनऊ
अनुशासन वाली पार्टी कहे जाने वाली भाजपा में अब मौजूदा सांसद बगावती तेवर दिखाने से नहीं चूके रहे हैं. सांसदों को अंदेशा है कि स्थानीय स्तर पर उनका फीडबैक आलाकमान को भेज दिया गया है. जाहिर है ऐसे में अगले लोकसभा के लिए टिकट कटना तय माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा अपने तीन दर्जन मौजूदा सांसदों का टिकट काटने का मन बना चुकी है.
असल में भाजपा में कई सांसद ऐसे हैं जो अपने क्षेत्र में नहीं जाते हैं और न ही पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. यहां तक कि कई बार पार्टी आलाकमान द्वारा केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए अपने क्षेत्र का दौरा करने का फरमान को भी भाजपा सांसद तरजीह नहीं देते हैं.
तीन माह पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की प्रांत के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी. शाह ने खुले तौर पर सांसदों के चेताया था कि अगर सांसद कार्यकर्ता की अनदेखी करेंगे और पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेंगे, तो उनका टिकट काटा जायेगा. पार्टी अध्यक्ष के साथ बैठक में कार्यकर्ताओं ने जमकर सांसदों के खिलाफ भड़ास निकाली. ऐसे ही सांसद दोबारा टिकट न मिलने के अंदेशे में पार्टी की सरकार व नेतृत्व के खिलाफ बयान देकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर दवाब बनाने में जुटे हैं.
ऐसे सांसदों पर पार्टी लगातार निगरानी तो रख ही रही है, लेकिन फिलहाल उन पर कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई कर उनके प्रति सहानुभूति उपजने का कोई मौका नहीं देना चाहती. क्योंकि लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं. भाजपा के कई सांसद केंद्र और प्रदेश भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोल चुके हैं. ऐसे में अपनों के हमलों से पार्टी को ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है.
आरक्षण को लेकर बहराइच की सांसद सावित्री बाई फूले तो खुलेतौर पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर चुकी हैं. जबकि अभी तक पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर नहीं किया है. कुछ दिन पहले इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता भी सरकार के खिलाफ बयान दे चुके हैं. बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी और झांसी के सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा ने तो भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करायी है.
ऐसे में स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ रही है. इसके साथ ही सहारनपुर, बाराबंकी, गोण्डा और धौरहरा के बाद देवरिया के सांसदों के नाम चर्चा में हैं. ये अकसर भाजपा सरकारों के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने एक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर भाजपा के तीन दर्जन सांसदों को दोबारा टिकट न देने का फैसला किया है.
फिलहाल सांसदों के टिकट काटने के मुद्दे पर पार्टी में कोई बोलने के लिए तैयार नहीं है. क्योंकि आलाकमान का फरमान है कि किसी भी सांसद को इस मुद्दे पर तवज्जो न दी जाए.