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फ्लाइट में हार्ट अटैक व तबीयत खराब होने के बाद उठने लगे हैं सवाल

पटना : बागडोगरा से मुंबई जा रहे इंडिगो के विमान में शुक्रवार को अमरजीत त्रिपाठी नामक युवक के हार्ट अटैक होने व उसके कारण विमान की पटना एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग के बाद यह सवाल उठ रहा है कि विमान में फर्स्ट एड की व्यवस्था इतनी लचर क्यों हैं कि इस तरह की घटना होने […]

पटना : बागडोगरा से मुंबई जा रहे इंडिगो के विमान में शुक्रवार को अमरजीत त्रिपाठी नामक युवक के हार्ट अटैक होने व उसके कारण विमान की पटना एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग के बाद यह सवाल उठ रहा है कि विमान में फर्स्ट एड की व्यवस्था इतनी लचर क्यों हैं कि इस तरह की घटना होने के बाद मरीज को विमान के भीतर बीमार यात्री को कुछ समय तक भी आपातकालीन चिकित्सा साहायता उपलब्ध नहीं करवायी जा सकती है. एक ओर जमीन पर चिकित्सकीय साहायता बढ़ी है और देश के सभी व्यस्त एयरपोर्ट पर हर समय मेडिकल टीम तैनात रहती है वहीं ऊपर आसमान में उड़ते यात्रियों की जान अभी भी पूरी तरह भगवान भरोसे है.
डॉक्टर और लाइफ सेविंग्स ड्रग्स की कमी
डॉक्टर की कमी आपातकालीन स्थिति में चिकित्सकीय साहायता मुहैया करवाने में सबसे बड़ी बाधक बनती है. इसको दूर करने के लिए विमान कंपनियां टिकट लेते समय ऐसे ऑप्शन रखती है जिसमें डॉक्टर यात्री अपने प्रोफेशन के सामने अपने डॉक्टर होने का उल्लेख कर सके. इमरजेंसी में इस जानकारी का इस्तेमाल क्रू मेंबर्स डॉक्टर खोजने आैर उसकी साहायता लेने में करते हैं.
कई बार तो मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में यात्रियों से पूछा भी जाता है कि यदि कोई डॉक्टर है तो वह मदद करें. लेकिन डॉक्टर जब मिल भी जाते हैं तो विमान में लाइफ सेविंग्स ड्रग्स नहीं होने से वे कुछ खास नहीं कर पाते. डॉक्टर और लाइफ सेविंग ड्रग्स विमान के भीतर होते उपलब्ध होते तो आसानी से अमरजीत को इतनी साहायता दी जा सकती थी कि दो-तीन घंटे तक जीवन खतरा रहित रहे.
पांच से 10 लाख का अतिरिक्त खर्च
आपातकालीन चिकित्सा प्रबंध पुख्ता नहीं होने से विमानों को अमरजीत जैसे मामले में इमरजेंसी लैंड करने के सिवा कोई चारा नहीं होता, लेकिन वित्तीय दृष्टि से ये एयरलाइंसों के लिए बहुत महंगे होते हैं. एक इमरजेंसी डायवर्ट और लैंडिंग टेकऑफ में पांच से दस लाख तक का अतिरिक्त खर्च आता है, जिसका बड़ा हिस्सा एटीएफ का खर्च है, जो सैंकड़ों लीटर अतिरिक्त जलता है.
इससे बचने के लिए विमान कंपनियां किसी भी ऐसे यात्री को ढोने से मना कर देती है, जो गंभीर हृदय रोग या सांस के रोग से ग्रस्त हो या कोई ऐसी अन्य बीमारी हो जिसमें स्वास्थ्य के अचानक बिगड़ने की आशंका रहती है. इस अतिरिक्त सावधानी के बावजूद उन्हें कभी कभी मेडिकल इमरजेंसी व उसके कारण आपात लैंडिंग झेलनी ही पड़ती है.
क्रू मेंबर्स को दिया जाता है प्रशिक्षण
फर्स्ट एड चिकित्सा का प्रशिक्षण क्रू मेंबर्स को देने का प्रावधान है. 40 दिनों के प्रशिक्षण में पायलट, को पायलट और एयर होस्टेस समेत सभी क्रू मेंबर्स को सिखाया जाता है कि विमान में किसी तरह की आपद स्थिति उत्पन्न होने पर उसे कैसे डील किया जाये. इसमें मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में यात्री को कार्डियक एरेस्ट से बचाने के लिए उसके हृदय को अपने मसल पावर से पंप करना, सांस की समस्या हो तो ऑक्सीजन मास्क लगाना कान बंद होने पर नाक बंद कर उसे खोलना आदि शामिल हैं.
इसके अलावा विमान के इमरजेंसी लैँडिंग की स्थिति में आपातकालीन गेट व स्लाइडर स्टेयर को खोलना भी शामिल हैं. यहां तक की पानी में लैंडिंग की स्थिति में तैर कर लोगों की जान बचाने और गोता लगा कर इमरजेंसी गेट खोलने में सक्षम बनाने के लिए क्रूमेंबर्स को तैराकी और गोता लगाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
लेकिन महज 40 दिनों का प्रशिक्षण इतना पुख्ता नहीं होता कि ऐसे मौकों पर काम आ सके और जब भी बड़ी आपदा आती है, उससे निबटने में ये असमर्थ होते हैं.
पटना एयरपोर्ट पर प्रबंध पुख्ता
पटना एयरपोर्ट पर ट्रिपल शिफ्ट में डॉक्टर तैनात रहते हैं. उनके साथ हर शिफ्ट में कंपाउंडर या नर्स जैसा एक पारा मेडिकल स्टाफ भी रहता है. 25 मार्च से पहले तक यहां डॉक्टर और मेडिकल टीम की तैनाती डबल शिफ्ट में थी जो सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक तैनात रहती थी. लेकिन 25 मार्च से 24 घंटे परिचालन शुरू होने से यहां तैनात डाॅक्टर और मेडिकल टीम के शिफ्ट को भी तिगुना कर दिया गया है. अब यह 24 घंटे तैनात रहती है. इसके लिए पारस अस्पताल से एयरपोर्ट ऑथोरिटी का कॉन्ट्रैक्ट हुआ है.
पांच एंबुलेंस हमेशा रहती हैं उपलब्ध
पटना एयरपोर्ट पर किसी तरह की आपदा से निबटने के लिए पांच एंबुलेंस हमेशा उपलब्ध रहते हैं. इनमें एक पारस अस्पताल का एंबुलेंस हैं जबकि एक शत्रुघन सिन्हा के सांसद कोष से स्थानीय एयरपोर्ट ऑथोरिटी को दिया गया है. तीन एंबुलेंस फायर ब्रिगेड के हैं जो किसी तरह की बड़ी आपदा से निबटने के लिए हमेशा एयरपोर्ट पर तैनात रहते हैं.

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