मुंबई : रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र तथा राज्यों को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहना चाहिए, क्योंकि इसमें किसी प्रकार की चूक से मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा. चालू वित्त वर्ष की अपनी चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने वैश्विक व्यापार तनाव तथा तेल के बढ़ते दाम के प्रभाव को बेअसर करने के लिए घरेलू वृहत आर्थिक बुनियादी में सुधार का मजबूती से हवाला दिया.
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केंद्रीय बैंक ने कहा कि केंद्र या राज्यों के स्तर पर राजकोषीय घाटा लक्ष्य से ऊपर निकलता है, इसका मुद्रास्फीति परिदृश्य पर असर पड़ेगा. साथ ही, बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा तथा निजी क्षेत्र के लिए निवेश को लेकर धन की कमी होगी. केंद्र ने गुरुवार को उत्पाद शुल्क में 1.5 रुपये लीटर की कटौती की घोषणा की, जिससे चालू वित्त वर्ष में राजस्व में 10,500 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
पेट्रोलियम पदार्थों पर सरकार की ओर से उत्पाद शुल्क में की गयी कटौती लेकर आशंका जाहिर की जा रही है कि इससे केंद्र का राजकोषीय घाटा 3.3 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर जा सकता है. इसी प्रकार, कुछ राज्यों ने भी ईंधन पर वैट में कटौती की है. हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया है कि सरकार राजकोषीय घाटा लक्ष्य को हासिल करेगी और इसमें किसी प्रकार की चूक नहीं होगी.
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 3.9 से 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. उसने कहा कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर अगले कुछ महीनों तक नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि इसके ऊपर जाने को लेकर कई जोखिम हैं.
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