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नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोलीं राज्यपाल – मेडल व उपाधि विद्यार्थियों के परिश्रम का फल
मेदिनीनगर : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने ज्ञान आधारित इस युग में ज्ञान अर्जन के साथ-साथ मूल्यों और नैतिकता के साथ बेहतर आचरण के निर्माण पर बल दिया है. कहा कि ज्ञान सभी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति देता है. कभी भी विद्यार्थी अपने आप को कमजोर न समझें. बल्कि अपने अंदर छुपी ताकत […]
मेदिनीनगर : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने ज्ञान आधारित इस युग में ज्ञान अर्जन के साथ-साथ मूल्यों और नैतिकता के साथ बेहतर आचरण के निर्माण पर बल दिया है. कहा कि ज्ञान सभी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति देता है. कभी भी विद्यार्थी अपने आप को कमजोर न समझें. बल्कि अपने अंदर छुपी ताकत को पहचान कर आगे बढ़े.
ज्ञान अर्जन से ही जागृति आती है. इसी जागृति के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों का भी अंत किया जा सकता है. झारखंड प्रकृति संपदा से परिपूर्ण है. लेकिन प्रगति के मार्ग प्रशस्त होने के लिए बौद्धिक संपदा भी जरूरी है. बौद्धिक संपदा के बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता है. शिक्षा ही प्रगति का मार्ग प्रशास्त करता है.
राज्यपाल श्रीमती मुर्मू गुरुवार को नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में बोल रही थी. पलामू में विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष-2009 में हुई है. स्थापना के बाद वर्तमान कुलपति डॉ एसएन सिंह के सक्रियता के बाद पहला दीक्षांत समारोह आहूत की गयी थी. इस पर राज्यपाल श्रीमती मुर्मू ने प्रसन्नता जाहिर की.
उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में उपाधि मिलना शिक्षा संपन्न होना नहीं, बल्कि आरंभ होना है. नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के विकास के लिए कार्य हो रहे हैं. इसमें सक्रियता के साथ विवि के कुलपति डॉ एसएन सिंह लगे हुए हैं. कुलपति के सक्रियता के लिए राज्यपाल ने उन्हें बधाई दी. मनिका में डिग्री कॉलेज खुला है.
17 जनवरी 2009 को हुई थी विश्वविद्यालय की स्थापना
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना 17 जनवरी 2009 को हुई. स्थापना के बाद यह पहला अवसर है, जब विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इसका श्रेय कुलपति डॉ एसएन सिंह को जाता है. स्थापना के बाद कई पेंडिग काम डॉ एसएन सिंह के कार्यकाल में संपन्न हुए हैं.
विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद सीनेट की बैठक नहीं हुई थी. पीएचडी की प्रवेश परीक्षा भी रुकी हुई थी. लेकिन कुलपति के रूप में योगदान देने के बाद डॉ सिंह ने शोध के साथ-साथ उन कार्यों का बढ़ावा देने का निर्णय लिया, जिससे विश्वविद्यालय की एक सकारात्मक पहचान बनी. इस दिशा में उन्होंने कार्य शुरू किया.
तय किया कि रचनात्मक कार्य को बढ़ावा दिया जायेगा. आज की तिथि में देखा जाये तो कई महत्वपूर्ण कार्य हुए. विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन का निर्माण कार्य भी शुरू हो गया. आनेवाले कल में और कई आयोजन होने की कार्य योजना तैयार की गयी है. ऐसी में उम्मीद की जानी चाहिए कि आनेवाले िदनों में विवि उन उदेश्यों को पूरा करने में सफल हो.
विद्यार्थियों ने कहा
बारालोटा के मनीष कुमार पाठक को ओवरऑल बेस्ट पोस्ट ग्रेजुएट में गोल्ड मेडल मिला है. गोल्ड मेडल मिलने के बाद मनीष काफी खुश थे. मनीष फिलहाल कोलकाता में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में शोध कर रहे है. उनका कहना था कि दीक्षांत समारोह से विद्यार्थियों का हौसला बढ़ता है.
दर्शनशास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट हमीदगंज के सुकृति कुमारी ने कहा कि इस तरह के आयोजन में आकर राष्ट्र व समाज के प्रति बेहतर करने की सोच पैदा होती है. एक गृहिणी के रूप में पढ़ाई करना थोड़ा टफ होता है. लेकिन कल व आज की तुलना में परिस्थिति बदली है. अब लोगों के सोच में बदलाव आया है. अब कोशिश यह होनी चाहिए कि प्रत्येक वर्ष समय पर यह कार्यक्रम हो.
सुप्रिया को मिला पहला गोल्ड मेडल
प्रथम दीक्षांत समारोह में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के हाथों सुप्रिया कुमारी को गोल्ड मेडल व उपाधि मिली. इसके बाद कई विद्यार्थियों को यह उपाधि मिली. जिन विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल मिला है, उनमें स्मिता रंजन, कुमारी हर्षिता, ज्योति कुमार, अनामिका कुमारी, अनूप कुमार चतुर्वेदी, लोकेश कुमार मिश्रा, भारती सिंह, संभवी कुमारी, रविशंकर मेहता, पूर्णिमा कुमारी, अरविंद कुमार चौधरी, रश्मि रानी, वर्षा कुमारी, रागिनी कुमारी, सत्येंद्र प्रजापति, अंकिता सिन्हा, श्वेता पांडेय, सुरभि कुमारी समेत कई शामिल हैं.
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