रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि विकास के लिए एडवांस प्लानिंग के न होने के कारण झारखंड का जितना विकास होना चाहिए था, उतना विकास नहीं हो पाया है. राज्य के विकास के लिए तीन वर्ष की कार्य योजना बनाने के लिए पद्मश्री अशोक भगत व झारखंड कैडर के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी टी नंदकुमार की अगुवाई में बनी टीम को सौंपा गया है. इसमें वर्ष 2022 में जब देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मनायेगा, तो झारखंड का नये भारत के निर्माण में क्या योगदान होगा, इसकी रूपरेखा तय की गयी है. अब हम सबको मिलजुल कर इसे धरातल पर उतारना है.
उक्त बातें उन्होंने झारखंड मंत्रालय में आयोजित राज्य विकास परिषद की द्वितीय बैठक में कही. उन्होंने कहा कि बैठक में सांसद, विधायक समेत अन्य जन प्रतिनिधियों के द्वारा जो सुझाव प्राप्त हुए हैं, उनको भी इसमें शामिल किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय असंतुलन के कारण झारखंड का अलग राज्य के रूप में गठन किया गया था. आज भी हमारे 24 में से 19 जिले आकांक्षी जिलों की सूची में है. इनमें से भी छह जिले अति पिछड़े हैं. हमें उन जिलों को विकसित जिलों की श्रेणी में लाना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इन जिलों के लिए विशेष तौर 50 करोड़ रुपये दिये हैं. हमें आइटी का अधिक से अधिक उपयोग कर समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक सरकार की योजना का लाभ पहुंचाना है. अभी भी राज्य में राइट टू सर्विस एक्ट सही तरीके से लागू नहीं हो पाया है, उसे लागू कराना है. झारखंड स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ था. आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के मामले में झारखंड अग्रणी राज्यों में शुमार है. यह राज्य सरकार नहीं कह रही है. यह नीति आयोग ने कहा है.
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार क्वालिटी एजुकेशन के सुधार के मामले में झारखंड को काफी सराहना मिल रही है. पोषण के क्षेत्र में झारखंड में व्यापक सुधार हुआ है. नवजात बच्चों की मृत्य दर में पहले की तुलना में उत्साहवर्द्धक कमी आयी है. मातृत्व मृत्युदर में भी काफी सुधार हुआ है. इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों से विकास योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा सक्रिय भागीदारी निभाने का आग्रह किया. उनके क्षेत्र में सरकार की हर योजना का क्रियान्वयन हो और हर लाभुक तक योजना पहुंचे, इसका विशेष ध्यान दें. जिन योजनाओं में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी अच्छी रही है, वे योजनाएं काफी सफल रही हैं. खनिज बहुल राज्य झारखंड के खनन क्षेत्र में लोग दूषित जल पीने को मजबूर थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने खनन से होनेवाली रॉयल्टी में से 30 प्रतिशत की राशि उसी क्षेत्र के विकास में खर्च की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने इस राशि से इन क्षेत्रों में पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम शुरू किया है. कल रामगढ़ में 300 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया जायेगा. वहीं 300 करोड़ रुपये की योजना पहले से चल रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय को दोगुणा करने के लिए कृषि के साथ-साथ पशुपालन, बागवानी, बांस की खेती, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है. राज्य में जल प्रबंधन के ठीक करने के लिए तालाब व डोभा भी बड़ी संख्या में खुदवाये जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य में लिफ्ट एरिगेशन का काफी भी तेजी से शुरू किया गया है. जिलावार इसकी तैयारी की गयी है. आयुष्मान भारत की सफलता के लिए उन्होंने राज्य में वेलनेस सेंटर का जाल बिछाने का निर्देश दिया. इसके साथ ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को भी बढ़ावा देने को कहा. उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली की कमी नहीं है. लेकिन यहां वितरण व्यवस्था पर जो काम होना चाहिए था, वह नहीं हुआ. अब इसमें भी सुधार किया जा रहा है.
बैठक में झामुमो विधायक जय प्रकाश भाई पटेल ने राज्य विकास परिषद के गठन के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास को विशेष तौर पर बधाई देते हुए कहा कि दलगत भावना से ऊपर उठकर विकास की कार्ययोजना बनाने में सभी को स्थान दिया है. उन्होंने विकास कार्यों की सराहना करते हुए कृषि पर विशेष फोकस करने का सुझाव दिया. झाविमो विधायक प्रकाश राम ने इस परिषद को बेहतर विकास की परिकल्पना करने का माध्यम बताया. उन्होंने कहा कि वन पट्टा में सामुदायिक पट्टा दिया जाए. वन से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को छह माह का भोजन मिलता है. वन पट्टे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आधारभूत सरंचना में सुधार हुआ है.
बैठक में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय, पर्यटन व खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी, राज्य के सांसद-विधायक व अन्य जन प्रतिनिधि, सभी विभागों के प्रधान सचिव, सचिव व अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने किया.