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….जब रांची की एसडीओ गरिमा सिंह ने बातचीत में कहा पद नहीं, काम ज्यादा मायने रखता है
रांची : मेरा मानना है कि लोग आपको पद से नहीं, बल्कि आपके काम की वजह से जानें. पद मायने नहीं रखता, काम ज्यादा मायने रखता है.मुझे मेडिकल में जाने की इच्छा थी, लेकिन पापा की तमन्ना थी कि मैं इंडियन सर्विस में जाऊं. यह कहना है रांची की नवनियुक्त एसडीओ गरिमा सिंह का. गरिमा […]
रांची : मेरा मानना है कि लोग आपको पद से नहीं, बल्कि आपके काम की वजह से जानें. पद मायने नहीं रखता, काम ज्यादा मायने रखता है.मुझे मेडिकल में जाने की इच्छा थी, लेकिन पापा की तमन्ना थी कि मैं इंडियन सर्विस में जाऊं. यह कहना है रांची की नवनियुक्त एसडीओ गरिमा सिंह का. गरिमा सिंह ने एक अक्तूबर को सदर एसडीओ का पद संभाला. बुधवार को उनसे हुई बातचीत का मुख्य अंश इस प्रकार है.
पहले आइपीएस, फिर आइएएस : मैं आइपीएस भी रही. हालांकि आइपीएस का दायरा सीमित है. आइएएस का दायरा बड़ा है. इसलिए मैंने ड्यूटी के साथ-साथ आइएएस की तैयारी जारी रखी. उन्होंने कहा कि मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास से ऑनर्स किया.
एसडीओ कड़क रहे, ऐसी बात नहीं: एक सवाल के जवाब में गरिमा सिंह ने कहा कि एसडीओ हूं, इसलिए कड़क रहूं. ऐसी बात नहीं है. मेरा प्रोफाइल डेवलपमेंट का रहा है. मैं जहां भी रहूंगी, डेवलपमेंट का काम करूंगी. मेरा प्रयास रहेगा कि रांची के सारे आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र की तर्ज पर विकसित करूं.
क्वालिटी बेस्ड काम को तरजीह : उन्होंने कहा कि मैं क्वांटिटी पर विश्वास नहीं करती. मैं क्वालिटी बेस्ड कार्यों को तरजीह देती हूं. मैं झारखंड में रही हूं. कुछ हद तक हजारीबाग में रहकर काम किया है. काम का नेचर तो एक ही है, केवल डेवलपमेंट करना.
ड्यूटी के साथ-साथ तैयारी भी की : गरिमा बताती हैं कि आइपीएस रहते हुए मैंने आइएएस की तैयारी जारी रखी. ड्यूटी से कभी समझौता नहीं किया. जहां भी रही, मुस्तैदी से ड्यूटी की.
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