नयी दिल्ली : राफेल सौदे पर जारी राजनीति के बीच वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने कहा कि दसॉल्ट को ऑफसेट साझेदार का चयन करना था और इसमें सरकार, भारतीय वायु सेना की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने कहा कि राफेल अच्छा विमान है, जब यह उपमहाद्वीप में आएगा तो अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा.
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वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हमें अच्छा पैकेज मिला, राफेल सौदे में कई फायदे मिले. धनोआ ने कहा एचएएल द्वारा सुखोई-30 की डिलिवरी में 3 साल, जगुआर की डिलिवरी में 6 साल, एलसीए की डिलिवरी में 5 साल की देरी है जबकि मिराज 2000 अपग्रेड की डिलिवरी में 2 साल की देरी है.
आपको बता दें कि राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीति जारी है. विपक्ष जहां मोदी सरकार पर इस सौदे को लेकर घोटाले का आरोप लगा रही है, वहीं सत्तारुढ दल भाजपा और मोदी सरकार के सहयोगी इस आरोप को निराधार बता रहे हैं.
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दस्तावेजों के अनुसार, 36 राफेल विमानों का सौदा मोदी सरकार ने 59000 हजार करोड़ रुपये में किया है जिस कारण विपक्ष हमलावर है. दरअसल, अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में बनाये गये 36 राफेल जेट खरीदने की बात कही थी. लेकिन सबसे पहले 2012 में राफेल विमानों की खरीदने का फैसला लिया गया था. उस वक्त यूपीए की सरकार थी. कांग्रेस का दावा है कि उन्होंने कम दर पर राफेल सौदे को हरी झंडी दी थी.
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आप भी जानें आखिर क्या है राफेल की खासियत
1. राफेल कई तरह के रोल निभा सकने में सक्षम है. यह हवा से हवा में मार कर सकता है, साथ ही हवा से जमीन पर भी आक्रमण करने में सक्षम है.
2. राफेल परमाणु बम गिराने में भी सक्षम है. यह खास इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस है जिसके जरिए दुश्मनों को लोकेट किया जा सकता है. दुश्मन के रडार को भी जाम करने की क्षमता इसमें है.
3. राफेल में एक खास सिस्टम लगा है जो दुश्मनों के क्षेत्र में लड़ाई कर वापस आने में भी मदद कर सकता है. इसका अर्थ यह है कि यह काफी मजबूत और तकनीकी रूप से अपग्रेडेड जेट है.
4. राफेल इतना फ्लेक्सिबल है कि कम से कम उंचाई से लेकर अधिक से अधिक ऊंचाई तक, दोनों ही स्थितियों में बेहतर एक्शन लेकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता है.
5. राफेल के अंदर METEOR और SCALP जैसी मिसाइलें भी तैनात की जा सकती हैं.