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अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के उपाय तेज करने का रास्ता साफ

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधता और चुनावी राजनीति को अपराधमुक्त करने संबंधी अपने दो फैसलों के माध्यम से चुनाव आयोग के लिये मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार से जोड़ने और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के उपाय तेज करने का रास्ता साफ कर दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओ […]

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधता और चुनावी राजनीति को अपराधमुक्त करने संबंधी अपने दो फैसलों के माध्यम से चुनाव आयोग के लिये मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को आधार से जोड़ने और अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के उपाय तेज करने का रास्ता साफ कर दिया है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने इन फैसलों को लागू करने के बारे में बताया कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय को न्यायालय के दोनों फैसलों का अध्ययन करने के लिये कहा गया है. आधार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध करार देने के बाद इसे वोटर आईडी से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘‘यह परियोजना, अदालत में आधार का मामला विचाराधीन होने के कारण रोकनी पड़ी थी. अब फैसले के अध्ययन के बाद अदालत के आदेश के अनुरूप इसे फिर से शुरू किया जा सकेगा.”

अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के संबंध में रावत ने कहा कि आयोग इस फैसले का भी अध्ययन कर इसे यथाशीघ्र लागू करने के उपाय करेगा. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उम्मीदवारों को उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं तक पहुंचाने को कहा है.

आधार से मतदाता पहचान पत्र को स्वैच्छिक तौर पर जोड़ने की योजना के बारे में रावत ने बताया कि आयोग अदालत के फैसले के अनुरूप इस योजना को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिये फरवरी 2015 में आधार से मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने की योजना शुरू किये जाने के बाद अगस्त 2015 में आधार की वैधता से जुडा मामला सर्वोच्च अदालत में पहुंचने के कारण इस योजना को रोके जाने तक लगभग 33 करोड़ मतदाता पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके हैं.

इसे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘‘योजना को शुरू करने भर की देर है. काम को यथाशीघ्र पूरा करने की कोशिश होगी. देखते हैं कि पूरा होने में कितना समय लगता है.” आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव से दूर रखने के अदालत के फैसले को लागू करने में आयोग की भूमिका के सवाल पर रावत ने कहा कि फैसले के अध्ययन के बाद यह तय किया जायेगा कि उम्मीदवारों के लिये निर्धारित आवेदन और इससे जुड़ी प्रश्नावली में कितना बदलाव करना होगा. उन्होंने बताया कि प्रक्रिया में जरूरत के मुताबिक बदलाव कर उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी से मतदाताओं को अवगत कराने के उपाय किये जायेंगे.

परिवर्तित व्यवस्था को इस साल पांच राज्यों के संभावित विधानसभा चुनाव से पहले लागू करने के सवाल पर रावत ने कहा ‘‘आयोग की हमेशा कोशिश होती है कि न्यायालय के फैसले को संभावित निकटवर्ती चुनाव में लागू कर दिया जाये. फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि आयोग इस दिशा में त्वरित प्रयास करेगा। जिससे इन्हें यथाशीघ्र लागू किया जा सके.”

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