मधुपुर : अल्प बारिश के कारण पहले ही किसानों का बुरा हाल था. प्रखंड क्षेत्र में किसान धान की रोपनी नहीं कर पाये थे. लेकिन जैसे-तैसे कर के जिन किसानों ने खेतों में धान रोपाई की थी, उनके हालत भी खराब हैं.
अपनी आंखों के सामने मेहनत से लगे धान धीरे धीरे मरते जा रहे हैं. पहले तो किसानों ने तालाब में बचे पानी या कुआं में पंप लगा कर किसी तरह हिम्मत जुटा कर इस उम्मीद में धान रोप दिया कि शायद आगे बारिश की स्थिति सुधरेगी और बेहतर फसल होंगे. पूरे प्रखंड क्षेत्र में कम बारिश के कारण सरकारी आंकड़े के अनुसार 48 फीसदी धान रोपनी हो पायी थी.
इस बार मॉनसून भी किसानों को दगा दे गया. जुलाई माह में 242.28 एमएम बारिश हुई थी. अगस्त में घटकर 99.5 एमएम व सितंबर में 77.8 एमएम बारिश हुई. कम बारिश के कारण धान की फसल पीले पड़ गये हैं. कई तरह की बीमारी पकड़ने लगी है. जबकि अधिकतर ऊपरी इलाके के खेत सूख गये हैं व खेतों में दरार पड़ गया है. इलाके के अधिकतर किसान अब भी बारिश पर ही निर्भर है. इलाके में तालाब, डोभा व सिंचाई कूप बने, लेकिन यह पहाड़ी इलाके में कारगर साबित नहीं हुआ.