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आयुष्मान योजना में आयुष चिकित्सा भी हो शामिल

कोलकाता : भारत सरकार द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा ‘आयुष्मान भारत योजना’ को लांच किया गया है. लेकिन इस स्वास्थ्य बीमा योजना में देशी चिकित्सका पद्धति यानी आयुष को शामिल ही नहीं किया गया है. आयुष को भी उक्त स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़े जाने की मांग की गयी है. इस संबंध में […]

कोलकाता : भारत सरकार द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा ‘आयुष्मान भारत योजना’ को लांच किया गया है. लेकिन इस स्वास्थ्य बीमा योजना में देशी चिकित्सका पद्धति यानी आयुष को शामिल ही नहीं किया गया है. आयुष को भी उक्त स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़े जाने की मांग की गयी है.
इस संबंध में वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद फैकल्टी (रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग) के विभागाध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार चौधरी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर आयुष्मान भारत व प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में आयुर्वेद समेत देश की अन्य पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों को शामिल किये जाने की मांग की है.
प्रो. डॉ आनंद चौधरी ने हमें बताया कि आज समाज का हर वर्ग आयुर्वेद चिकित्सा से लाभान्वित होना चाहता है. बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी हेल्थ फॉर आल यानी सबके लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम में हर देश की पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को पर्याप्त महत्व दिया है. हाल में ही केंद्रीय आयुष मंत्रालय के साथ डब्ल्यूएचओ का एक समझौता किया है.
उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर जोर देते हुए कहा कि तकनीक के इस युग में आयुर्वेद से कई जटिल बीमारियों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में आयुर्वेद को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करना चाहिए. प्रो. चौधरी ने कहा कि भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण पहले ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के चिकित्सा खर्च को बीमित करने का आदेश पारित कर चुका है. तमाम बीमा कम्पनियां भी आयुर्वेद चिकित्सा खर्च को समायोजित करती हैं. इसलिए आयुष्मान भारत में इसे जरूर शामिल करना चाहिए.
डॉ चौधरी ने हमें बताया कि करीब दो वर्ष पहले केंद्र सरकार के सीजीएचएस योजना में आयुर्वेद को जोड़ा गया है. केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 100 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज व चिकित्सालय तथा आयुर्वेद के करीब 150 पद्धति को सीजीएचएस से जोड़ा है. कोलकाता स्थित ‘द आयुर्वेद क्लीनिक एंड रिसर्च सेंटर के मुख्य आयुर्वेद फिजिशियन डॉ सुमित सूर ने कहा कि आयुर्वेद के बिना आयुष्मान भारत सफल हो ही नहीं सकता.

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