नयी दिल्ली : आज पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का जन्मदिन है. उन्हें जीवन में कई अहम पद अचानक ही मिले हैं. उनके काम की खूब तारीफ हुई तो कई कामों की जमकर आलोचना हुई. आधार कार्ड को लेकर आज ही अहम फैसला आया है जब पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का जन्मदिन है. मनमोहन सिंह 86 साल के हो गये. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. मनमोहन की कई उपलब्धियों में आधार को भी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना जाता है.
जब नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह से कहा था, अगर सफल नहीं रहे तो आपको जाना होगा
साल 1991 में जब वित्त मंत्री बनने केलिए डॉ मनमोहन सिंह को फोन आया तब वह सो रहे थे. उन्हें उठाकर जब इसकी जानकारी दी गयी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ . नरसिम्हा राव ने उन्हें दोबारा फोन कर बताया कि मैं आपको अपना वित्त मंत्री बनाना चाहता हूं हालांकि शपथ ग्रहण समारोह से पहले यह साफ कर दिया गया कि उन्हें किस परिस्थितियों में यह अहम जिम्मेदारी दी जा रही है. इन जिम्मेदारियों का जिक्र करते हुए नरसिम्हा ने कहा था, अगर हम सफल होते हैं तो हम दोनों को इसका श्रेय मिलेगा लेकिन अगर हमारे हाथ असफलता लगती है तो आपको जाना पड़ेगा.”. साल 1994 में उन्हें यूरो मनी सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री का पुरस्कार दिया था. यह पहला मौका था दूसरा मौका उन्हें मिला साल 2005 में जब उन्हें सीधे प्रधानमंत्री के लिए चुन लिया गया
जब अचानक मनमोहन के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंची थी सोनिया
18, मई 2004, इस तारीख ने डॉ मनमोहन सिंह की किस्मत दोबारा पलट कर रख दी. सोनिया जब राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए पहुंची तो कांग्रेस और विपक्षी दल के सभी नेता हैरान थे. जब सोनिया तात्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के पास पहुंची, तो कलाम भी हैरान रह गये डॉ कलाम ने ‘विंग्स ऑफ़ फ़ायर’ के दूसरे खंड ‘टर्निंग पॉइंट्स’ में इस घटना का जिक्र करते हुए लिखा है, मुझे कई राजनीतिक दलों के विरोध जताते हुए ईमेल मिले थे जिसमें वह सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने का विरोध कर रहे थे.
अगर सोनिया गांधी खुद प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश करती तो उन्हें शपथ दिलाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था. राष्ट्रपति भवन ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की चिट्ठी तैयार कर ली थी लेकिन सोनिया जब मनमोहन के साथ पहुंची तो सभी हैरान रह गये. सोनिया ने बताया कि वह मनमोहन को प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत करने आयी हैं. राष्ट्रपति भवन को दोबारा चिट्ठी तैयार करनी पड़ी.
आर्थिक सुधार से आधार तक
डॉ मनमोहन सिंह के नाम के साथ कई उपलब्धियां जुड़ी है. सबसे पहले इस सूची में शामिल है देश में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरुआती बागडोर इनके हाथ में थी. साल 1991 में भारत को दुनिया के बाजार के लिए खोला गया. उन्होंने 1996 तक कई अहम फैसले लिये जिससे भारत दोबारा खड़ा हो सका. मनमोहन के इस दौर को अर्थव्यवस्था के लिए इलाज के रूप में देखा जाता है. प्रधानमंत्री बनने के बाद मनमोहन सिंह ने कई अहम फैसले लिये, शिक्षा का अधिकार जिसमें 6 से 14 साल के बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिया गया. अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील – गठबंधन की मजबूरियों के बाद भी मनमोहन सरकार ने यह अहम फैसला लिया.
इस फैसले की वजह से भारत न्यूक्लियर ताकत के रूप में विकसित हुआ. इस फैसले के बाद भारत ने न्यूक्लियर एनर्जी पर भी जोर दिया . साल 2004 से 2014 भी आर्थिक सुधार के लिए जाना जाता है. इस दौरान भी कई अहम फैसले लिये गये. जिस वक्त उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 के आसपास था. एक वर्ष में ही उन्होंने इसे 5.9 फीसदी पर लाने में कामयाबी हासिल कर ली थी. इसके अलावा रोजगार गारंटी योजना और आधार योजना है.