नयी दिल्ली : विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों में प्रोस्टेट की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं जिसके लिए प्रारंभिक चरण में बीमारी की पहचान करने और इलाज के लिए टारगेटिड या स्मार्ट स्क्रीनिंग की जानी चाहिए.
देश में प्रॉस्टेट के मामले बढ़ रहे हैं जिनकी वजह कैंसर नहीं है लेकिन उन्हें बेनिनप्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) और प्रोस्टेट कैंसर (पीसीए) कहा जाता है, जो भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं.
विशेषज्ञों ने सुझाया कि भारत में प्रारंभिक चरण में प्रॉस्टेट कैंसर की पहचान करने और बीमारी का इलाज करने के लिए टारगेटेड स्क्रीनिंग या स्मार्ट स्क्रीनिंग शुरू करने की आवश्यकता है.
वर्द्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग हॉस्पिटल में यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ अनूप कुमार ने कहा, कई पुरुषों को उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या होती है क्योंकि यह ग्रंथि अपने जीवनकाल में बढ़ने से नहीं रुकती है.
पुरुषों को बढ़ती उम्र के साथ बीपीएच/प्रोस्टेट कैंसर की जांच करने के लिए नियमित प्रोस्टेट स्क्रीनिंग करवानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसी को मूत्र संबंधी समस्याएं हैं तो डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए.
डॉ कुमार ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रॉस्टेट और मूत्राशय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे गरीब वर्ग के मरीजों को भी लाभ मिलेगा.