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”37 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है भारत-पाकिस्तान का व्यापार”

इस्लामाबाद : भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को सालाना 37 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है. विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पड़ोसियों के बीच राजनीतिक तनाव होने और व्यापार संबंध सामान्य नहीं होने की वजह से दक्षिण एशिया में दोनों के बीच सहयोग के रास्ते में अड़चनें हैं. […]

इस्लामाबाद : भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को सालाना 37 अरब डॉलर तक पहुंचाया जा सकता है. विश्वबैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पड़ोसियों के बीच राजनीतिक तनाव होने और व्यापार संबंध सामान्य नहीं होने की वजह से दक्षिण एशिया में दोनों के बीच सहयोग के रास्ते में अड़चनें हैं.

इसे भी पढ़ें : पाक ने भारत के साथ किया प्रतिबंध-मुक्त व्यापार का वायदा

विश्वबैंक की रिपोर्ट ‘ए ग्लास हॉफ फुल : द प्रामिस ऑफ रीजनल ट्रेड इन साउथ एशिया’ में कहा गया है कि द्विपक्षीय व्यापार में प्रमुख बाधा ‘प्रतिबंधित’ उत्पादों की वह सूची है, जो बहुत लंबी है. भारत और पाकिस्तान दोनों ने इसके अलावा संवेदनशील उत्पादों की ऐसी सूची रखी है, जिनमें शुल्क में किसी तरह की रियायत नहीं दी जाती. यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की गयी.

‘डॉन’ समाचार पत्र ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि व्यापारिक रिश्ते सामान्य नहीं होने की वजह से उच्च मूल्य वाले विभिन्न व्यापारिक क्षेत्रों में क्षेत्रीय स्तर पर मूल्य संवर्धन शृंखला शुरू करने या उसके विस्तार में दिक्कत आती है. प्रतिबंधित उत्पादों की पाकिस्तान की सूची में 936 प्रकार के उत्पाद हैं, जो दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) के सभी देशों आयातित विभिन्न प्रकार के उत्पादों की सूची के 17.9 फीसदी के बराबर है.

भारत की सूची में 25 प्रकार के (0.5 फीसदी)उत्पाद आते हैं, जिनमें अल्कोहल और अग्नेयास्त्र जैसे कुछ प्रकार के उत्पाद हैं. हालांकि, भारत-पाकिस्तान और श्रीलंका के मामले में इस प्रकार की सूची में कुल 64 प्रकार के उत्पाद रखे हैं, लेकिन यह व्यवहार में सिर्फ पाकिस्तान के मामले में प्रभावी है और श्रीलंका के मामले में यह सूची छोटी है. इसकी वजह है कि भारत का श्रीलंका के साथ अगल मुक्त व्यापार करार है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अटारी-वाघा सड़क मार्ग से भारत से केवल 138 उत्पाद ही आने की अनुमति देता है. इसके अलावा, दोनों ओर के ट्रक एक दूसरे के यहां नहीं जा सकते. इससे ढुलाई का समय और खर्च बढ़ जाता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन दोनों देशों के बीच सबंध सामान्य न होने का क्षेत्रीय सहयोग समझौतों की प्रगति अटकी है.

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