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अनंत चतुर्दशी व्रत से प्राप्त होता है सौभाग्य व ऐश्वर्य

हमारी संस्कृति, भक्ति, आस्था का जुड़ाव किसी न किसी पर्व, त्योहार और पौराणिक कथाओं एवं मान्यताओं से है. ये किसी न किसी रूप में आज भी हमें अनुशासित व संयमित करते हैं. हर साल भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह रविवार, 23 सितंबर […]

हमारी संस्कृति, भक्ति, आस्था का जुड़ाव किसी न किसी पर्व, त्योहार और पौराणिक कथाओं एवं मान्यताओं से है. ये किसी न किसी रूप में आज भी हमें अनुशासित व संयमित करते हैं. हर साल भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह रविवार, 23 सितंबर को है. इस चतुर्दशी को भगवान अनंत यानी भगवान विष्णु का व्रत और पूजा की जाती है. मान्यता है कि महिलाएं सौभाग्य की रक्षा और सुख के लिए इस व्रत को करती हैं, तो पुरुष ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए यह व्रत करते हैं.

इसके पीछे पौराणिक कथा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी. जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान के साथ यह व्रत कर अनंत सूत्र धारण किया था. इस व्रत के प्रभाव से पांडव सारे संकटों से मुक्त हो गये.

अनंत सागर महासमुद्रेमग्नणसंभुयद्धर वासुदेव ।

अनंतरूपेनियोजितात्मह्यनंतरूपापनमोन मस्ते ।।

अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस जैन धर्मावलंबियों के लिए भी सबसे पवित्र तिथि है. यह मुख्य त्योहार पर्यूषण पर्व का आखिरी दिन होता है. इस दिन को संवत्सरी के नाम से जाना जाता है और इसे क्षमावाणी भी कहा जाता है. जैन अनुयायी इस दिन श्रीजी की शोभायात्रा निकालते हैं और भगवान का जलाभिषेक करते हैं. इस दिन देश के कई हिस्सों में गणेश विसर्जन भी किया जाता है.

– सारिका भूषण

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