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..तो नहीं जलता बागड़ी मार्केट, बार-बार पत्र लिख कर प्रशासन को किया था सचेत

कोलकाता : ज्वाइंट ट्रेडर्स फेडरेशन की ओर से प्रशासन के सभी महकमों को पत्र देकर बागड़ी मार्केट जैसे अग्निकांड की आशंका बहुत पहले ही जतायी गयी थी, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. अब जब बागड़ी मार्केट जला तो दोष व्यापारियों के मत्थे देने की नापाक कोशिश हो रही है. फेडरेशन की […]

कोलकाता : ज्वाइंट ट्रेडर्स फेडरेशन की ओर से प्रशासन के सभी महकमों को पत्र देकर बागड़ी मार्केट जैसे अग्निकांड की आशंका बहुत पहले ही जतायी गयी थी, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. अब जब बागड़ी मार्केट जला तो दोष व्यापारियों के मत्थे देने की नापाक कोशिश हो रही है. फेडरेशन की ओर से पहला पत्र 13 फरवरी 2015 को दिया गया.
इसके बाद लगातार पत्र का सिलसिला जारी था. इस कड़ी में अंतिम पत्र छह अगस्त 2018 को सभी विभागों को दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि जब भी प्रशासन की ओर से बैठक होती थी तो व्यापारियों की ओर से यह मुद्दा उठाया जाता रहा है.
ज्वाइंट ट्रेडर्स फेडरेशन की ओर से प्रशासन के विभिन्न दफ्तरों में भेजी गयी पहली चिट्ठियों में साफ कहा गया था कि जिस तरह से सड़कों का अतिक्रमण करके हॉकर अपना डाला लगाते हैं. उससे टैक्स देनेवाले व्यापारी काफी प्रभावित होते हैं. रात के वक्त यह हॉकर अपना डाला सड़कों के किनारे बने फुटपाथ पर प्लास्टिक से ढक कर रखते हैं.
ऐसे में रात के वक्त हादसे की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा पत्र में विभिन्न मुद्दों का जिक्र करते हुए सुरक्षा का अहम इंतजाम करने की बात कही गयी थी. फेडरेशन की ओर से दुख जताते हुए कहा गया कि अगर वक्त रहते प्रशासन सचेत हो गया होता तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता, क्योंकि जो वीडियो सामने आया है उसमें साफ दिख रहा है कि बिजली के खंभों के नीचे रखे एक डाले में आग की लपटें जल रही हैं, जिसकी चपेट में पूरा बागड़ी मार्केट आया, जिसमें हजारों करोड़ की संपत्ति जल कर खाक हो गयी.
ज्वाइंट ट्रेडर्स फेडरेशन में शामिल चौरंगी ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव ब्रिज भूषण तिवारी ने बताया कि बागड़ी मार्केट हादसे को देखते हुए व्यापारियों ने एक आपात बैठक की है और तय किया है कि वह लोग एक बर फिर प्रशासन को सचेत करेंगे और अगर इस बार प्रशासन तत्पर नहीं हुआ तो वह लोग बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे और यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक उनकी मांग मानी नहीं जाती.

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