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भारत बंद नहीं, सोच बंद

82 रुपये पेट्रोल, 80 रुपये डीजल और रुपये का डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले पायदान तक पहुंचना दुखदायी है. इससे सभी वर्ग प्रभावित हैं, परंतु आज प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है. लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है. हर घर में दोपहिया वाहन है. मध्यम वर्ग सपनों के कार को साकार कर रहा […]

82 रुपये पेट्रोल, 80 रुपये डीजल और रुपये का डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले पायदान तक पहुंचना दुखदायी है. इससे सभी वर्ग प्रभावित हैं, परंतु आज प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है.
लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है. हर घर में दोपहिया वाहन है. मध्यम वर्ग सपनों के कार को साकार कर रहा है. एक तरफ हम विकसित राष्ट्र की पंक्ति में अपने देश को देखना चाहते हैं, पर अर्थव्यवस्था में क्षणिक उथल-पुथल को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
भारत बंद के बहाने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले क्या आपके रोजी – रोटी को नहीं छीन रहे हैं. क्या इस बंद के कारण जो 485 करोड़ से कहीं अधिक का नुकसान हुआ, क्या इसकी भरपाई हमारे कथित रहनुमा कर पायेंगे? राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान अनुचित है.
देवेश कुमार ‘देव’, इसरी बाजार, गिरिडीह

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