कोलकाता : विश्व तीरंदाजी (डब्ल्यूए) के महासचिव टॉम डीलेन ने आगाह किया है कि अगर अमान्य घोषित भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) चीजों में जल्द ही सुधार नहीं करता है तो फिर भारतीय तीरंदाजों को आगामी टूर्नामेंट में इस खेल की विश्व संस्था के ध्वज तले खेलना पड़ सकता है.
डीलेन ने कहा कि वे तीरंदाजों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं लेकिन उन्होंने आगामी ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट से पहले एएआई में चल रहे गतिरोध पर चिंता जतायी है.
विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप अगले साल जून में होनी है तथा इसमें महिला और पुरुष वर्ग में चोटी की आठ टीमों के लिये 24 सीटें दांव पर लगी होंगी. इसके अलावा अगले साल महाद्वीपीय क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट भी होगा. तीरंदाज से खेल प्रशासक बने 50 वर्षीय डीलेन ने लुसाने में विश्व तीरंदाजी मुख्यालय को दिये साक्षात्कार में कहा, वर्तमान स्थिति अनिश्चतकाल तक जारी नहीं रह सकती. किसी मोड़ पर हमें यह फैसला करना होगा कि खिलाड़ी तटस्थ विश्व तीरंदाजी के ध्वज तले खेलेंगे. अभी सबसे मुख्य चिंता आगामी ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट को लेकर है.
उन्होंने आगे कहा कि विश्व संस्था पिछले कुछ समय से भारत में कार्यकारी, मान्यता प्राप्त संघ होने की दिशा में काम कर रहा है. डीलेन ने कहा, अब भी हमें उम्मीद है कि जल्द ही किसी समाधान तक पहुंचा जा सकता है लेकिन यह जल्द होना चाहिए. यह हमारा मुख्य उद्देश्य है. उन्होंने कहा, अगर ऐसा नहीं होता है तो भावी कदम उठाये जाएंगे. लेकिन ये कदम खिलाड़ियों को सजा देने के लिये नहीं उठाये जाएंगे. लेकिन एक देश में व्यवस्थित सदस्य संघ का होना संवैधानिक जरूरत है.
भारत सरकार ने खेल संहिता का उल्लंघन करने के लिये दिसंबर 2012 में एएआई की मान्यता समाप्त कर दी थी. पिछले साल दिल्ली उच्च न्यायालय ने संविधान का मसौदा तैयार करने और नये सिरे से चुनाव कराने के लिये पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी को प्रशासक नियुक्त किया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ है.
भारत ने पिछले कुछ समय से किसी बड़े तीरंदाजी टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं की है और रिपोर्टों के अनुसार महाद्वीपीय ओलंपिक क्वालीफायर्स -2019 एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप – जो पहले नयी दिल्ली में होनी थी अब उसकी मेजबानी बैकाक को सौंप दी गयी है.