पटना : गंगा में गाद और हर साल आने वाली बाढ़ सेे समाधान के लिए गठित समिति के निरीक्षण के नौ महीने बाद भी इसकी रिपोर्ट का इंतजार है. इस मुद्दे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रमुखता से उठाते रहे हैं. उन्होंने गंगा में गाद जमा होने के लिए फरक्का बैराज को भी एक बड़ा कारण बताया था.
उनकी सक्रियता का ही परिणाम है कि केंद्र सरकार ने इसके अध्ययन के लिए एक समिति का गठन कर दिया. इस समिति के सदस्यों ने दिसंबर 2017 में हवाई सर्वेक्षण किया था, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आने से समाधान की कार्ययोजना पर काम शुरू नहीं हुआ है. सूत्रों का कहना है कि गंगा में बाढ़ की सबसे बड़ी वजह गाद मानी जाती है. गंगा की गाद का दायरा इतना बढ़ गया है कि नदी ने अपनी मुख्यधारा ही बदल ली है. वनों की अंधाधुंध कटाई से समस्या बढ़ी है.
समस्या केवल पहाड़ों पर वनों की कटाई से नहीं, बल्कि मैदानी क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की वजह से भी है. बिहार में नेपाल की ओर से आयी नदियों में काफी मात्रा में गाद आती है. कोसी के गंगा में समाहित होने के तुरंत बाद फरक्का आ जाता है, जहां बराज की वजह से प्रवाह बाधित होती है और पानी तटों की ओर फैलता है.
2009 में गाद की सफाई का मुद्दा उठा था
साल 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की पहली बैठक में गंगा में जमे गाद की सफाई का मुद्दा उठा था. मई 2012 में तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री पवन कुमार बंसल ने बिहार सरकार के अनुरोध पर बक्सर से भागलपुर तक गंगा क्षेत्र का सर्वेक्षण कराया गया था. राष्ट्रीय गाद नीति बनाने का अनुरोध भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तत्कालीन जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी के स्तर पर किया जा चुका है.
इसके बाद सितंबर 2016 में भी गंगा के गाद का अध्ययन हवाई सर्वे से हुआ था. टीम ने बक्सर से लेकर फरक्का बैराज तक गंगा सहित अन्य नदियों का हवाई सर्वेक्षण किया था. बिहार सरकार के अधिकारियों से मिले थे. टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को सौंपी थी.
केंद्र सरकार द्वारा गठित एक विशेष समिति ने 26 दिसंबर 2017 को भी बक्सर से फरक्का बैराज तक गंगा का हवाई सर्वेक्षण किया, लेकिन इसकी रिपोर्ट का अब भी इंतजार है. यह समिति बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से पूर्व चेयरमैन एबी पांड्या की अध्यक्षता में बनायी गयी थी. नौ सदस्यीय टीम में चार केंद्र और पांच बिहार सरकार के सदस्य हैं. टीम में डॉ. मुरलीधर सिंह, समन्वयक हिमांशु ठक्कर, एमएम राय शामिल हैं.
नीतीश की पहल पर केंद्र ने बनायी समिति
गंगा की वर्तमान बदहाली के लिए फरक्का बराज को सीधे तौर जिम्मेदार ठहराते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक तीन पृष्ठ का पत्र सौंपा था. फरक्का बराज की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था कि इससे लाभ के बजाय नुकसान अधिक है. इसके बाद नीतीश कुमार ने 27 मई 2017 को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस समस्या को उठाया था और गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाये रखने का आग्रह किया था. उन्हीं की पहल पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिंह की अगुआई में टीम ने पटना से लेकर फरक्का तक गंगा नदी का हवाई सर्वेक्षण किया.
क्या कहते हैं मंत्री
राज्य सरकार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बताया कि बक्सर से फरक्का तक गंगा के सर्वेक्षण के लिए केंद्र सरकार ने समिति का गठन किया था. इस समिति के सदस्यों ने हवाई सर्वेक्षण किया, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आयी है. उनके रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्ययोजना के बारे में निर्णय लिया जायेगा.