युवा शक्ति किसी भी देश का स्वाभिमान, आशाओं का केंद्र और भविष्य हैं. वह संगठित होकर असंभव को भी संभव करके दिखा सकते हैं. अपनी सूझ-बूझ और साहस से काम लेकर देश को सामान्य स्थिति से उबार कर ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं. मानव-जाति का इतिहास गवाह है कि जब कभी भी किसी देश में किसी तरह की कोई क्रांति हुई या कोई बड़ा परिवर्तन आया, उसका कारण युवा शक्ति ही थी.
जब भी आवश्यकता पड़ी और राष्ट्र ने आह्वान किया, देश की युवा पीढ़ी ने अपने सुख-दुख की भावना त्याग कर उस आह्वान को न केवल सुना, बल्कि सार्थक उत्तर भी दिया. भारत अपने पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा है. उसे शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, वैचारिक और आर्थिक ऊर्जा की अत्यधिक आवश्यकता है.
राजेश कुमार, लहेरियासराय (दरभंगा)