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रोजगार का साधन पैदा करे सरकार
आज हर राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के आधार पर नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर गठबंधन बनाते हैं, जिसमें जनता का हित नहीं सत्ता का लालच सर्वोपरि होता है. आये दिन विभिन्न तरह के आरक्षण की घोषणा राजनीतिक दलों द्वारा सुनते आते हैं और हमलोग जानते हैं कि कोई भी सरकार रोजगार के साधन पैदा नहीं […]
आज हर राजनीतिक दल अपनी सहूलियत के आधार पर नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर गठबंधन बनाते हैं, जिसमें जनता का हित नहीं सत्ता का लालच सर्वोपरि होता है. आये दिन विभिन्न तरह के आरक्षण की घोषणा राजनीतिक दलों द्वारा सुनते आते हैं और हमलोग जानते हैं कि कोई भी सरकार रोजगार के साधन पैदा नहीं करती है.
न ही इनका एजेंडा रहता है कि कैसे रोजगार को बढ़ाया जाये. ये लोग स्वच्छ और पारदर्शी व्यवस्था में सेंध मारने, पब्लिक की सहानुभूति व वोट बैंक बढ़ाने के लिए देश हित को ताक पर रखकर विभिन्न तरीकों से आरक्षण की वकालत करने की फिराक में रहते हैं. न्यायिक व्यवस्था में अपने पक्ष में निर्णय नहीं आने पर उसको भी कटघरे में खड़ा कर देना राजनेताओं के लिए आम बात है. समय-समय पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से न्यायतंत्र को दोष देने से भी पीछे नहीं हटते.
आशीष पांडेय, इ-मेल से
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