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भाकपा कन्हैया जैसों में ढूंढ़ रही भविष्य

मिथिलेश बेगूसराय में केवल 1967 और 1996 में यहां से फहराया था लाल झंडा पटना : जेएनयू विवाद के वक्त चर्चा में आये युवा नेता कन्हैया कुमार को जिस बेगूसराय लोकसभा सीट पर उतारने का संकेत मिल रहा है, वहां भाकपा पिछले 22 साल से जीत की जद्दोजहद कर रही है. 1996 के लोकसभा चुनाव […]

मिथिलेश
बेगूसराय में केवल 1967 और 1996 में यहां से फहराया था लाल झंडा
पटना : जेएनयू विवाद के वक्त चर्चा में आये युवा नेता कन्हैया कुमार को जिस बेगूसराय लोकसभा सीट पर उतारने का संकेत मिल रहा है, वहां भाकपा पिछले 22 साल से जीत की जद्दोजहद कर रही है. 1996 के लोकसभा चुनाव में भाकपा के नेता रमेंद्र कुमार बेगूसराय से चुनाव जीतने में सफल रहे थे.
उसके बाद से अब तक दोबारा भाकपा को बेगूसराय लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं हो पायी है. 1996 में गठित 11वीं लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी और दो साल बाद 1998 में मध्यावधि चुनाव की घोषणा हो गयी थी. 1998 के मार्च-अप्रैल में हुए मध्यावधि चुनाव में बेगूसराय की सीट पर दोबारा उसका कब्जा नहीं हो पाया. बेगूसराय की सीट ‘लेनिनग्राद’ के नाम से भी मशहूर रही है.
1951 के पहले लोकसभा चुनाव में भी भाकपा ने यहां से अपना उम्मीदवार दिया था. तब यह सीट तो कांग्रेस की झोली में गयी, लेकिन भाकपा उम्मीदवार चंद्रशेखर सिन्हा 27514 वोट लोकर तीसरे स्थान पर रहे थे़. बेगूसराय सीट को लेकर यह भी रिकाॅर्ड रहा कि अब तक सिर्फ 2009 में गैर भूमिहार मोनाजिर हसन यहां से सांसद निर्वाचित हो पाये.
भाकपा की जीत बरकरार नहीं रह सकी
यह भी उतना ही सच है कि इस सीट पर आजाद भारत में अब तक भाकपा महज दो बार ही चुनाव जीत पायी है. सबसे पहले 1967 में भाकपा का लाल झंडा पहली बार सहां फहर पाया था. पार्टी उम्मीदवार योगेंद्र शर्मा यहां से सांसद निर्वाचित हुए. उन्होंने उस समय के दिग्गज कांग्रेसी मथुरा प्रसाद मिश्रा को पराजित किया था.
लेकिन, भाकपा की जीत अगले चुनाव में बरकरार नहीं रह पायी. 1971 में हुए अगले लोकसभा चुनाव में यहां से श्यामनंदन मिश्रा चुनाव जीत गये और भाकपा उम्मीदवार योगेंद्र शर्मा को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. इसके 29 साल बाद भाकपा की कोशिश रंग लायी जब 1996 में पार्टी उम्मीदवार रमेंद्र कुमार ने जीत का परचम लहराया था.
इस चुनाव में नामांकन के समय पार्टी चुनाव चिह्न देर से जमा कर पाने के चलते रमेंद्र कुमार को निर्दलीय उम्मीदवार करार दिया गया था.
भाकपा में नहीं है एकमत
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पार्टी के युवा चेहरा के रूप में अपनी देशव्यापी पहचान बना चुके हैं. पर, उनके बेगूसराय सीट पर उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर खुद भाकपा में एकमत नहीं है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता और बलिया से पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि अब तक सेंट्रल कमेटी ने न तो राज्य कमेटी को इस संबंध में कोई पत्र लिखा है और न ही जिला कमेटी से कोई प्रस्ताव भेजा गया है.

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