सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी में भी बुधवार को माहेश्वरी समाज की विवाहित महिलाओं द्वारा पूरे रीति-रिवाज के साथ ‘सात्तुड़ी तीज’ मनाया गया. माहेश्वरी समाज में सात्तुड़ी तीज कई प्रमुख त्योहारों में से एक है.
इस त्योहार का विशेष महत्त्व भी है. पति के दीर्घायु और पूरे घर-परिवार में सुख-शांति और वैभव की कामना के साथ महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत का पालन करती हैं. शाम को नवदुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार व पारंपरिक वेश-भूषा में सुसज्जित होकर सामूहिक रुप से शिव-पार्वती की आराधना करती हैं और नीमड़ी (नीम का डाल) की पूजा-अर्चना करती हैं. साथ ही चंद्र दर्शन और जल-कच्चे दूध से अर्घ्य देने के बाद व्रत तोड़ती हैं. परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद देने के बाद खुद प्रसाद ग्रहण करती हैं.
सात्तुड़ी तीज में लीन एक विवाहिता सरोज करनानी ने बताया कि शिव-पार्वती और नीमड़ी की पूजा के दौरान गेहूं, चना, चावल से पिंड बनाया जाता है. यह पिंड महिलाएं अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर उतनी ही संख्या में बनाती हैं. इन पिंडों का भी प्रत्येक सदस्यों के नाम पर पूजा में चढ़ाया जाता है.
वहीं, कच्चा दुध, सत्तू, ककड़ी व नींबू पास (एक तरह का राजस्थानी खाद्य पदार्थ) का सेवन करके ही महिलाएं व्रत तोड़ती हैं. एक अन्य युवति सोना करनानी ने बताया कि सात्तुड़ी तीज से एक दिन पहले महिलाओं द्वारा हाथ में मेहंदी रचाकर परंपरागत तरीके से सिंधारा त्योहार भी मनाने का रिवाज है. आज सिलीगुड़ी में शाम को खालपाड़ा, एसएफ रोड, मिलन पल्ली, सेवक रोड, पंजाबी पाड़ा व अन्य जगहों में भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.