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हे मधेपुरा के कर्णधार, शहर को गंदगी से कब मिलेगी निजात

साफ-सफाई कराने के दावे हो रहे सिफर अधिकारी बेफिक्र मधेपुरा : चारों तरफ गंदगी के बावजूद वार्डों में साफ- सफाई की ओर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान नहीं गया है. पार्षद और नप दोनों ही बीमारियों को लेकर बेफ्रिक हैं. सरकार के निर्देशों के बावजूद निगम के दावे बेमानी सिद्ध हो रहे है. आलम […]

साफ-सफाई कराने के दावे हो रहे सिफर अधिकारी बेफिक्र

मधेपुरा : चारों तरफ गंदगी के बावजूद वार्डों में साफ- सफाई की ओर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान नहीं गया है. पार्षद और नप दोनों ही बीमारियों को लेकर बेफ्रिक हैं. सरकार के निर्देशों के बावजूद निगम के दावे बेमानी सिद्ध हो रहे है. आलम यह है कि शहर के इलाकों में जगह-जगह कीचड़, जलभराव और गंदगी से लार्वा और बीमारियां फैलाने वाले मच्छर पैदा होने का खतरा बढ़ गया है, जबकि कई जगह तो पानी में मच्छर पनपने भी लगे है. ऐसे में शहरवासियों के लिए महामारी से बचाव करने के विभाग के दावे भी खोखले दिखाई दे रहे है. नगर परिषद तो उदासीन है ही, शहर किस तरह खूबसूरत रहे इससे आम लोगों को भी कोई दरकार नहीं है.
इसका नतीजा है कि दिन व दिन शहर की सड़कें अतिक्रमण का शिकार हो सिमटती जा रही है. वहीं गंदगी के अंबार से भी परेशानी बढ़ती जा रही है. नगर परिषद की सफाई व्यवस्था बदहाल है, तो घर व दुकान की गंदगी सड़क पर फेंकने की लोगों की मानसिकता अब भी बरकरार है. यहीं वजह है कि गंदगी व अतिक्रमण में शहर की खूबसूरती गुम हो गयी है.
टैक्स लेते है, लेकिन सुविधा नहीं देते: नगर परिषद द्वारा आम जनता से विभिन्न प्रकार के कर तो लिए जाते है, लेकिन सुविधाएं नहीं दी जाती है. इसी सुविधा में सफाई का भी नाम आता है. वैसे तो मधेपुरा शहर को उत्तर बिहार के शैक्षणिक व औद्योगिक नगरी बनने का गौरव प्राप्त हो गया है. बावजूद इस शहर की तस्वीर ऐतिहासिक व प्रगतिशील शहर जैसी नहीं है. गंदगी से पटी सड़कें मधेपुरा की पहचान बन गयी है. लाखों की आबादी वाले इस शहर में नाली- बड़े नाले का अभाव है. सड़क पर अतिक्रमण का जाल है. शहर के कर्पूरी चौक, मुख्य बाजार रोड, सुभाष चौक, जयपाल पट्टी सहित शहर का यहीं हाल है. लोग घरों का कूड़ा कचरा सड़क पर डाल रहे है. निजी क्लिनिकों द्वारा बैंडेज, कॉटन, दवा व सिरिंज आदि का अपशिष्ट सड़क पर फेंका जा रहा है. दुकानदार दुकान की गंदगी सड़क पर डाल रहे है. इधर, नप नियमित सफाई कराता नहीं, लिहाजा लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. सड़क पर कूड़ा कचरा होने की वजह से सूअर, कुत्ता, गाय, बैल व साढ़ जैसे आवारा पशु धमा चौकड़ी करते नजर आते है. इतना ही नहीं गंदगी व उससे निकली सड़ांध से पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है.
नाला में प्लास्टिक वाला कचरा: शहरी क्षेत्र में अधिकांश जगहों पर नाला का प्लेट खुला रहने की वजह से सड़क पर फेंके गये कचरे नाला को जाम कर देते है. इस वजह से पानी का बहाव रूक जाता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि नाला का बहाव नहीं होने के कारण घरों में बारिश का पानी बाहर नहीं निकलता है. कई जगहों पर नाला का पानी निकलने के बजाय वापस घरों के अंदर भी पहुंच रही है.
संक्रमण से फैलती है बीमारी
आवासीय व व्यवसायिक परिसर के आसपास कचरा जमा होने की वजह से जल जनित रोगों का खतरा मंडराने लगा है. लोगों ने बताया कि गंदगी की वजह से डायरिया व हैजा जैसे बीमारियों का प्रसार हो रहा है. इसके अलावा गंदगी की वजह से मलिन बस्तियों में चेचक का प्रकोप भी बढ़ रहा है. ज्ञात हो कि गंदगी से निजात के लिए लोग अपने स्तर से डीटीटी का उपयोग भी कर रहे है.
नाला का पानी सड़क पर बहती है: नगर परिषद की ओर से नियमित रूप से नालों की सफाई नहीं होने से पूरा कचरा नाला में भर गया है. नाले का गंदा पानी सड़क पर फैल रहा है. इससे आवागमन में लोगों को दिक्कतें आ रही है. नालों की सफाई नहीं होने से बारिश के समय पानी की निकासी नहीं हो पाती है. स्थानीय दुकानदारों और राहगीरों को दिक्कतें हो रही है. सड़क किनारे छोटे-बड़े दुकान लगाने वाले दुकानदार अपनी दुकान बंद करने पर मजबूर हैं. कुल मिलाकर पूरे शहर के चौक-चौराहों पर कचरा फैला हुआ है.
गंदगी से पटा है पूरा इलाका: छोटा शहर आबादी कम, फिर भी गंदगी से पटी सड़क नप की पहचान बन गयी है. पूरा शहर गंदगी से पटा है, शहर का शायद ही कोई इलाका गली, चौराहा, बाजार व सड़क है, जो गंदगी व कूड़ा करकट से पटा नहीं है. लोग घरों का कूड़ा-कचरा सड़क पर डाल रहे है. इस वजह से शहर में गंदगी का फैलाव लगातार बढ़ रहा है.

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