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झारखंड में नहीं बंटी भूदान की 9.8 लाख एकड़ जमीन
संजय राज्य के करीब 12 लाख परिवार भूमिहीन रांची : स्वतंत्रता सेनानी आचार्य विनोबा भावे के आह्वान पर झारखंड (तत्कालीन बिहार का दक्षिणी भाग) में 14.73 लाख एकड़ जमीन भूदान में मिली थी. सर्व सेवा संघ के अनुसार, इसमें से करीब 9.8 लाख एकड़ जमीन का वितरण आज तक नहीं हो सका है. राज्यसभा के […]
संजय
राज्य के करीब 12 लाख परिवार भूमिहीन
रांची : स्वतंत्रता सेनानी आचार्य विनोबा भावे के आह्वान पर झारखंड (तत्कालीन बिहार का दक्षिणी भाग) में 14.73 लाख एकड़ जमीन भूदान में मिली थी.
सर्व सेवा संघ के अनुसार, इसमें से करीब 9.8 लाख एकड़ जमीन का वितरण आज तक नहीं हो सका है. राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने भी यह मुद्दा उठाया है. रविवार को उन्होंने आदर्श ग्राम, बड़ाम में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम सहित झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पदाधिकारियों की मौजूदगी में भूदान की जमीन के वितरण की बात कही.
दरअसल रांची जिले में ही भूदान की करीब 12 हजार एकड़ जमीन थी. वर्ष 1997 तक इसमें से सिर्फ 1087 एकड़ का ही वितरण हो सका था.
बाद में अपवाद स्वरूप ही भूमिहीनों के बीच जमीन बंटी है. इधर सामाजिक, आर्थिक व जातीय जनगणना-2011 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य भर में 1.93 लाख जनजातीय (एसटी) परिवार तथा 1.94 लाख अनुसूचित जाति (एससी) परिवार भूमिहीन हैं. अन्य समुदाय को मिला कर झारखंड के करीब 12 लाख परिवारों के भूमिहीन होने का अनुमान है. विनोबा भावे के निर्देशानुसार गठित भूदान की जमीन वितरण का कामकाज देखने वाली संस्था सर्व सेवा संघ के अनुसार अवितरित जमीन पर बड़े पैमाने पर कब्जा हो रहा है.
वहीं जिन्हें जमीन मिली थी, पर पट्टा निर्गत नहीं हुआ था, उन्हें उस जमीन से बेदखल किया जा रहा है. सर्व सेवा संघ के वर्तमान अध्यक्ष महादेव विद्रोही ने इस संबंध में झारखंड के वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर इस जमीन के वितरण के लिए संघ की अनुशंसा से भूदान यज्ञ समिति का गठन कर जमीन वितरण के लंबित मामलों के शीघ्र निष्पादन का कई बार आग्रह किया है. पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
कटकमसांडी, हजारीबाग निवासी विधवा राधा देवी ने खुद को भूमिहीन व गरीब बताते हुए भूदान यज्ञ कमेटी का गठन करने तथा उसे जमीन उपलब्ध कराने संबंधी एक जनहित याचिका (सं-3290/2014) झारखंड हाइकोर्ट में दायर करायी थी. इस मामले में सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने नौ दिसंबर 2015 को अपने निर्णय में उपायुक्त हजारीबाग को निर्देश दिया था कि वह राधा देवी को भूदान यज्ञ कानून-1954 के आलोक में जमीन उपलब्ध करायें.
वहीं राज्य सरकार से कहा कि वह एक माह के अंदर भूदान यज्ञ कानून-1954 के तहत एक कमेटी का गठन करे, जिसमें सभी जिलों के उपायुक्त, सभी जिलों के प्रधान जिला न्यायाधीश, जो जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) के अध्यक्ष होते हैं तथा डीएलएसए के सचिव सहित उपायुक्त द्वारा मनोनीत एक सदस्य होंगे.
वहीं हाइकोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष से आग्रह किया था कि वह डीएलएसए के अध्यक्ष को लोकपाल की भूमिका अदा करते हुए गरीबों को भूदान कानून के तहत जमीन दिलाने में मदद करने का आदेश दें. इसके बाद की प्रगति की जानकारी नहीं है.
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