-नेशनल कंटेंट सेल
पदन्ना गांव पर 2016 में लगा था बदनुमा दाग, 25 युवक हुए थे आइएसआइएस में शामिल
तिरुवनन्तपुरम: केरल के लोग सदी की सबसे विनाशकारी बाढ़ से जुझ रहे हैं. पानी भले ही उतर गया है, लेकिन इससे जो नुकसान हुआ है, उससे निपटने में काफी समय लग जायेगा. लोगों के पास न रहने को घर है और न ही खाने का सामान. आपदा की इस घड़ी में पूरे देश से लोग केरल की सहायता के लिए आगे आये. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें लोगों की मदद करने के लिए अपने हुलिये को बदलना पड़ा. दरअसल, केरल के एक मुस्लिम गांव पदन्ना के युवा अपनी दाढ़ी कटवाकर बाढ़ प्रभावित लोगों की सहायता में जुटे हैं. वजह है आइएसआइएस से कनेक्शन.
उनके गांव के 25 लोग वर्ष 2016 में आतंकी संगठन आइएसआइएस में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान चले गये थे. हालांकि, बाद में कई सारे वापस आ गये लेकिन जो दाग इस गांव पर लग गया, उससे यहां के लोग अभी भी पीछा नहीं छूटा पाये हैं. 15 अगस्त से ही गांव के 30 से ज्यादा मुस्लिम युवक विभिन्न बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सहायता में जुटे हुए हैं. गांव में भी 60 लोगों की एक टीम और सात स्थानीय क्लब एर्नाकुलम, चेंगानूर और एलेप्पी क्षेत्र में बाढ़ सहायता के लिए फंड जुटाने और जरूरत की वस्तुओं के इंतजाम में जुटी है. खाड़ी देशों से व्यवसाय करने वाले शबीर अली जो कि राहत कार्य में सहायता कर रहे हैं और ऑनलाइन तरीके से संसाधन इकट्ठा कर रहे हैं, कहते हैं कि अब तक पदन्ना से 25 ट्रक राहत सामग्री भेजी जा चुकी है.
अपना कामकाज छोड़कर लगे हैं बाढ़ पीड़ितों की सहायता में
लोगों को है गलती का अहसास
पदन्ना के 27 साल वर्षीय मोहम्म्द सलिह पेशे से एक इंजीनियर हैं और 18 अगस्त से एडापल्ली में राहत कैंप में काम कर रहे हैं. वे कहते हैं कि 2016 में हमारे गांव के कुछ लोगों ने जो गलतियां की, उसके बाद के दो साल में हम काफी कुछ झेल चुके हैं. शायद यही वजह रही कि हमारे बीच के कुछ लोगों ने अपनी दाढ़ी छोटी कर ली. जमीनी स्तर पर काम करने वाले 30 लोगों की टीम में एक 31 वर्षीय जुहैर इस्माइल भी शामिल हैं, जो कतर स्थित एक रेडियो स्टेशन के लिए काम करते हैं. इस्माइल केरल में बाढ़ की भयावहता को देखकर मैं 17 अगस्त को यहां आये. हालांकि, तत्कल केरल आने के लिए हवाई टिकट लेना काफी मुश्किल था, इसलिए वे पहले गोवा आये और फिर ट्रेन से कोझीकोड आये. इसके बाद एक दोस्त की गाड़ी उधार ली और 18 अगस्त को चंगनशेरी पहुंचा और एक शिविर स्थापित किया. बीते 10 दिनों में इस्माइल और उनकी टीम ने एर्नाकुलम के द्वारा पदन्ना से चार ट्रक राहत सामग्री का प्रबंध किया है. पदन्ना के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने होटल को राहत वस्तुओं के लिए गोदाम में बदल दिया है.
हम यहां हीरो बनने नहीं काम करने आये हैं
एर्नाकुलम में बाढ़ राहत कार्य में जुटे 34 वर्षीय मोहम्मद अली कहते हैं कि हम यहां हीरो बनने के लिए नहीं आये हैं. हम आपको यह नहीं बताना चाहते कि हमने यहां क्या काम किया. लोगों को पता होना चाहिए कि पदन्ना आतंक की फैक्ट्री नहीं है. धर्म से हटकर हम हर तीन साल में एक बार पदन्ना में मंदिर त्योहार मनाते हैं. पदन्ना में कभी कोई धार्मिक तनाव नहीं हुआ. इसके बावजूद पदन्ना का एक मुस्लिम होने की वजह से कई एयरपोर्ट पर मुझे रोक दिया गया.