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ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है हाइ बीपी, जानें अटैक आने पर क्या करें

अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में मौत और विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण है ब्रेन स्ट्रोक. अनियमित जीवनशैली व सही जानकारी का अभाव इस बीमारी को बढ़ावा देती है. दरअसल, मस्तिष्क की लाखों कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए कई रक्त कोशिकाएं हृदय से मस्तिष्क तक लगातार रक्त पहुंचाती हैं. जब किसी कारण […]

अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में मौत और विकलांगता का तीसरा सबसे बड़ा कारण है ब्रेन स्ट्रोक. अनियमित जीवनशैली व सही जानकारी का अभाव इस बीमारी को बढ़ावा देती है. दरअसल, मस्तिष्क की लाखों कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए कई रक्त कोशिकाएं हृदय से मस्तिष्क तक लगातार रक्त पहुंचाती हैं.
जब किसी कारण रक्त की आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं. इसी का परिणाम होता है दिमागी दौरा या ब्रेन स्ट्रोक. यह मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट बनने या ब्लीडिंग होने से भी हो सकता है. रक्त संचरण में रुकावट आने से कुछ ही समय में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है.
जब ये रक्त पहुंचानेवाली नलिकाएं फट जाती हैं, तो ब्रेन हेमरेज होता है. इस कारण पक्षाघात होना, याददाश्त जाने की समस्या, बोलने में असमर्थता जैसी स्थिति आ सकती है. कई बार ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा भी हो सकता है. इसे ब्रेन अटैक कहते हैं.
स्ट्रोक और उच्च रक्तदाब में संबंध : उच्च रक्तदाब और स्ट्रोक की आशंका के बीच गहरा संबंध है. रक्तदाब जितना अधिक होगा, स्ट्रोक का खतरा उतना ही बढ़ जायेगा. उच्च रक्तदाब को स्ट्रोक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है.
इसके कारण ब्लॉकेज और ब्लीडिंग दोनों की आशंका बढ़ जाती है. स्ट्रोक के 80-90 प्रतिशत मामले ब्लॉकेज (इसचैमिक स्ट्रोक) के कारण होते हैं. उच्च रक्तदाब से पीड़ित जो लोग नियमित दवाइयां लेते हैं, उनमें स्ट्रोक के चपेट में आने की आशंका उन लोगों की तुलना में 32 प्रतिशत तक कम होती है, जो इसके लिए कोई दवाई नहीं लेते.
स्ट्रोक के खतरे को कैसे बढ़ाता है उच्च रक्तदाब : उच्च रक्तदाब के कारण रक्त नलिकाएं लगातार स्ट्रेस में रहती हैं. अत्यधिक दबाव के कारण इनकी दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे ये कमजोर हो जाती हैं.
एक बार जब रक्त नलिकाएं कमजोर हो जायें, तो वे आसानी से ब्लॉक हो सकती हैं. उच्च रक्तदाब के कारण क्लॉट भी अधिक बनते हैं, क्योंकि ये आर्टियोस्क्लेरोसिस की प्रक्रिया को तेज कर देता है. आर्टियोस्क्लेरोसिस वह स्थिति है, जिसमें नलिकाओं की दीवारों में वसा, संयोजी उत्तकों, क्लॉट, कैल्शियम या अन्य पदार्थों का जमाव हो जाता है.
इससे नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्त संचरण में रुकावट आती है या नलिकाओं की दीवार कमजोर हो जाती हैं. इस कारण इसचेमिक स्ट्रोक हो सकता है. इससे एक्यूट ट्रांसिएंट इसचेमिक अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है. हाइपर टेंशन के कारण हेमरेज स्ट्रोक भी हो सकता है. इसमें मस्तिष्क की रक्त नलिकाएं फट जाती हैं और मस्तिष्क में रक्त का रिसाव होने लगता है. हालांकि इसके मामले बहुत कम देखे जाते हैं.
फैक्ट फाइल
2040 तक विश्वभर में एक करोड़ 70 लाख लोग स्ट्रोक के शिकार होंगे. 50 की उम्र पार कर चुके जो लोग सप्ताह में 4-7 घंटे पैदल चलते हैं, उनमें स्ट्रोक की आशंका 11 प्रतिशत तक कम हो जाती है.
हैदराबाद पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार भारत में स्ट्रोक के 18-32 प्रतिशत मामले 60 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जाते हैं, जबकि 10-15 प्रतिशत मामले तो 40 से कम उम्र के लोगों में होते हैं.
रक्तदाब को ऐसे करें कंट्रोल
फिजिकली एक्टिव रहें. फल और सब्जियों का सेवन अधिक करें.
अपने भोजन में नमक, शूगर और सैचुरेटेड वसा की मात्रा कम रखें.
घर का बना सादा खाना ही खाएं.
तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन करें.
नियमित व्यायाम और योग से जुड़ें.
धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें.
गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन न करें.
अटैक आने पर क्या करें
डॉ मनीष वैश्य
ब्रेन एंड स्पाइनल पीपीएल, एसोसिएट डायरेक्टर-न्यूरो सर्जरी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, यूपी
ब्रेन अटैक आने पर रक्‍तदाब को नियंत्रित करनेवाली दवाई न लें. फिजिशियन की बजाय किसी न्‍यूरोलॉजिस्‍ट के पास जाएं. मरीज को अस्पताल ले जाने में बिल्कुल देर न करें. उसे तुरंत उपचार देना इसलिए जरूरी है, क्योंकि स्ट्रोक आने के एक घंटे में मस्तिष्क उतने न्यूरॉन्स खो देता है, जिसे बनने में लगभग साढ़े तीन वर्ष लगते हैं. अगर शुरू से अपनी जीवनशैली को संयमित बनाये रखें, तो यह खतरा बहुत हद तक दूर रहता है. ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाये रखने के लिए खुद को एक्टिव रखना और जरूरी एहतियात बरतना हर किसी के लिए बहुत जरूरी है.
सामान्य रखें बीपी : हैदराबाद में हुई वर्ल्ड स्ट्रोक कांग्रेस के अनुसार, प्रतिवर्ष करीब 18 लाख भारतीय स्ट्रोक के शिकार होते हैं. इनमें से 22-40 प्रतिशत मामलों में इसका प्रमुख कारण उच्च रक्तदाब होता है.
स्ट्रोक भारत में मृत्यु और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है. खान-पान की गलत आदतों और खराब जीवनशैली के कारण बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि स्ट्रोक के 80 प्रतिशत मामलों से बचा जा सकता है, अगर रक्तदाब को सामान्य (120/80) रखा जाये.

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