समस्तीपुर : पुलिस की छवि में सुधार लाने के सरकारी दावे मात्र दिखावे के ही साबित हो रहे हैं. संसाधनों में व्यापक सुधार लाये बिना यह कहीं से भी संभव नहीं दिख रहा है़ जिला पुलिस का पूरा सिस्टम ही जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है़ खासकर जिले के थानों की गाड़ियां महीने में 12 दिन से अधिक जुगाड़ के ईंधन पर ही चलती है़ आधिकारिक सूत्रों की मानें तो सरकार ने पुलिस की सभी वाहनों के लिए प्रति महीने 110 लीटर डीजल आवंटित कर रखा है़ जबकि पुलिस बाइकों के लिए प्रति बाइक 15 लीटर पेट्रोल का आवंटन होता है़ लेकिन वास्तविकता यह है कि महीने में 15 से 18 दिन भी विभागीय ईंधन से थानों के वाहन चल नहीं पाते हैं. वहीं, मुफस्सिल, कल्याणपुर, वारिसनगर, विभूतिपुर जैस बड़े क्षेत्रफल वाले थानों की गाड़ियां,तो आठ से दस दिन भी विभागीय ईंधन से नहीं चल पाती हैं.
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ओपी थाना क्षेत्र से लेकर एसपी के वाहन तक के लिए निर्धारित है 110 लीटर डीजल
समस्तीपुर : पुलिस की छवि में सुधार लाने के सरकारी दावे मात्र दिखावे के ही साबित हो रहे हैं. संसाधनों में व्यापक सुधार लाये बिना यह कहीं से भी संभव नहीं दिख रहा है़ जिला पुलिस का पूरा सिस्टम ही जुगाड़ टेक्नोलॉजी पर चलता हुआ दिखाई दे रहा है़ खासकर जिले के थानों की गाड़ियां […]
क्षेत्रफल के अनुरूप नहीं मिलता ईंधन
थानाध्यक्षों की अनुसार थाना के क्षेत्रफल के अनुरूप ईंधन का खपत ज्यादा होता है़ 2904 वर्ग किलोमीटर फैले इस जिले के छोटे थानों का क्षेत्रफल भी औसतन 10 से 12 किलोमीटर तक है वहीं कई थानों का एरिया 20 से 25 किलोमीटर की दूरी में फैला होता है़ प्रावधान के अनुसार हर थाने में 24 घंटे में कम से कम दिवा गश्ती, संध्या गश्ती एवं रात्रि गश्ती पूरे क्षेत्र करनी है़ इसी में बैंक चेकिंग, जांच-पड़ताल के लिए घटनास्थलों का दौरा भी करना होता है़ जिसमें कम से कम प्रति महीने 300 लीटर ईंधन का खपत होता है़
इन थानों के पास हैं दो-दो गाड़ियां
जिले में महिला एवं एससीएसटी थाना मिलाकर कुल 30 थाने हैं. जिनमें नगर, मुफस्सिल, रोसड़ा, दलसिंहसराय, मुसरीघरारी एवं कल्याणपुर थाना को दो-दो वाहन उपलब्ध कराये गये हैं. बांकि के 24 थाने मात्र एक-एक गाड़ियों से ही काम चला रही है़
ऐसे होता है ईंधन का जुगाड़, होती है परेशानी
जब्त वाहनों की टंकी को थाने पर ही कर दी जाती है खाली
विभाग द्वारा दिये गये ईंधन के खत्म होने पर इन वाहनों को चलाने कि लिए पुलिस को ईंधन का जुगाड़ करना पड़ता है़ और पुलिस ईंधन का जुगाड़ किस-किस विधि से करती है यह सर्व विदित है़ पुलिस सूत्रों की मानें तो खराब पड़ी वाहनों को भी चालू दिखाना पड़ता है. थानों में जब्त हुए वाहनों की टंकी खाली हो जाती है़ अधिकतर घटनाओं की जांच में जाने से पहले पार्टी से डीजल का जुगाड़ करवाया जाता है. यहां तक कि जिले के एनएच किनारे स्थित कुछ थानों में तेल कटिंग के कारोबार से जुड़े लोगों का सहयोग लेना पड़ता है़
चालू हालत में हैं पुलिस
की 108 गाड़ियां
जिला पुलिस के पास वर्तमान में कुल 108 गाड़ियां चालू हालत में है़ं, जिसमें जीप, एंबुलेंस, वज्रवाहन, बस, थार व सुमो की संख्या 68 है़ जिनके लिए डीजल का आवंटन होता है़ वहीं, जिले के विभिन्न थानों में तैनात सेक्टर जवानों लिए कुल 40 बाइकें हैं. जिनके लिए प्रति महीने 15 लीटर पेट्रोल का आवंटन होता है़ बताया जाता है कि बाइकों के लिए जल्द ही तेल आवंटन में पांच लीटर बढ़ोतरी की चर्चा चल रही है़
कहते हैं अधिकारी
सरकार के द्वारा पूरे राज्य भर में पुलिस चार पहिया एवं बड़े वाहनों के लिए प्रति महीने 110 एवं बाइकों के लिए 15 लीटर ईंधन उपलब्ध कराया जा रहा है़ जिसे ससमय थानों को उपलब्ध करा दिया जाता है़ कुछ थानों में एरिया बड़ा होने से कुछ दिक्कतें होती है जिसे वैकल्पिक व्यवस्था से दूर किया जाता है़
मिथिलेश कुमार सिंह, सार्जेंट मेजर, समस्तीपुर
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