मुंबई : हिंदी सिने-प्रेमियों के लिये चौंकानेवाली खबर है. कई क्लासिक फिल्मों का गवाह रहा आइकॉनिक आरके स्टूडियो कुछ महीनों बाद बस एक सुनहरी याद बनकर रह जायेगा. कपूर भाईयों ने इसे बेचने का फैसला किया है. 70 साल बने इस ऐतिहासिक स्टूडियो में पिछले साल भीषण आग लग गयी थी और इसका एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया था. घटती आमदनी, बढ़ते खर्च और रखरखाव में कठिनाई के चलते कपूर परिवार ने भारी मन से यह फैसला किया है.
कपूर फैमिली को लगता है कि इसका रेनोवेशन करवाना आर्थिक लिहाज से प्रैक्टिकल नहीं है. बता दें इंडस्ट्री में शोमैन के नाम से मशहूर राजकपूर ने साल 1948 में मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र चेंबूर में इसकी स्थापना की थी.
परिवार की तरफ से ऋषि कपूर ने कहा,’ कपूर परिवार इस फैसले को लेकर काफी भावुक हैं. इससे हमारा एक खास लगाव है लेकिन आनेवाली पीढ़ी का कुछ पता नहीं.’ उन्होंने कहा कि छाती पर पत्थर रखकर यह फैसला लेना पड़ रहा है.’ रणधीर कपूर ने बताया, हां हमने आरके स्टूडियो को बेचने का फैसला किया है. यह बिक्री के लिए उपलब्ध है.’
पिछले साल 16 सितंबर को आरके स्टूडियो में ‘सुपर डांसर’ के सट पर आग लग गयी थी. इसका ग्राउंड फ्लोर जल गया था. हादसे में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा था. इसके बाद ऋषि कपूर ने स्टूडियो को आधुनिक टेक्नालॉजी के साथ फिर से इसे तैयार करने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उनके बड़े भाई रणधीर कपूर ने कहा था कि यह व्यावहारिक नहीं है.
आरके बैनर तले बनने वाली फिल्मों में बरसात, आग, आवारा, जिस देश में गंगा बहती है, मेरा नाम जोकर, बॉबी, राम तेरी गंगा मैली और सत्यम शिवम सुंदरम जैसी यादगार फिल्में शामिल है. आरके बैनर तले बनने वाली आखिरी फिल्म ‘आ अब लौट चलें’ थी जिसका निर्देशन ऋषि कपूर ने किया था. साल 1988 में राजकपूर के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र रणधीर ने स्टूडियो की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली थी.