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बचाये गये चार नाबालिगों का नहीं हो सका पुनर्वास

बालुरघाट : मानव तस्करों के चंगुल में फंसे चार नाबालिग बच्चे चाइल्ड लाइन द्वारा बचा लिये गये हैं. लेकिन काफी दिनों के बीत जाने के बावजूद अभी तक इन बच्चों के रहने की व्यवस्था तक जिला प्रशासन नहीं करा सका है. इनमें से एक आदिवासी किशोरी को बिगत 29 जुलाई को बंशीहारी इलाके से बचाया […]

बालुरघाट : मानव तस्करों के चंगुल में फंसे चार नाबालिग बच्चे चाइल्ड लाइन द्वारा बचा लिये गये हैं. लेकिन काफी दिनों के बीत जाने के बावजूद अभी तक इन बच्चों के रहने की व्यवस्था तक जिला प्रशासन नहीं करा सका है. इनमें से एक आदिवासी किशोरी को बिगत 29 जुलाई को बंशीहारी इलाके से बचाया गया. इस किशोरी को उनकी पड़ोसी दीदी ने बहला-फुसला कर दिल्ली में किसी के घर में परिचारिका के काम में लगवाया था. करीब 20 रोज तक काम करने के बाद वह किशोरी दिल्ली के रेलवे स्टेशन में पुलिस को मिली.
फिलहाल इस किशोरी के अभिभावक के रूप में बुजुर्ग दादी हैं. इस किशोरी की देखभाल के लिए आदिवासी समाज ने बुनियादपुर नगरपालिका के चेयरमैन से अनुरोध किया है. उल्लेखनीय है कि बंशीहारी थाना और एसडीपीओ गंगारामपुर की सहायता से किशोरी को चाइल्ड लाइन में अपनी हिफाजत में लिया है. हालांकि आजतक इस किशोरी के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो सकी है.
जिला शिशु सुरक्षा अधिकारी ने भी इस मसले को लेकर कुछ भी बताने से इंकार किया है. इसी तरह से एक और 10 साल की आदिवासी किशोरी को भी दिल्ली में किसी के घर में परिचारिका के काम में लगाया गया था. किन्हीं अज्ञात कारणों से परिवार के मालिक ने उसे टिकट कटाकर ट्रेन में बैठा दिया था.
बच्ची ने अपने गांव का नाम निमाइडांगी बताया है. कुमारगंज थाना पुलिस ने इस बच्ची को चाइल्ड लाइन के हिफाजत में सौंप दिया है. बीते 29 जुलाई से इस बच्ची को चाइल्ड लाइन के हिफाजत में रखा गया है. इसी तरह और दो नाबालिग बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था नहीं हो सकी है.D

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