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बिहार से झारखंड के रास्ते प बंगाल भेजे जा रहे हैं पशु
खुफिया विभाग की रिपोर्ट में पशुओं की अवैध तस्करी का खुलासा रांची : बिहार के गया से झारखंड के रास्ते पशुओं की अवैध तस्करी हो रही है. यह तस्करी बिहार से झारखंड के चौपारण, बरही, बगोदर, तोपचांची, गोविंदपुर व मैथन चेकपोस्ट होते हुए पश्चिम बंगाल के रास्ते की जाती है. इसी तरह गोविंदपुर से जामताड़ा, […]
खुफिया विभाग की रिपोर्ट में पशुओं की अवैध तस्करी का खुलासा
रांची : बिहार के गया से झारखंड के रास्ते पशुओं की अवैध तस्करी हो रही है. यह तस्करी बिहार से झारखंड के चौपारण, बरही, बगोदर, तोपचांची, गोविंदपुर व मैथन चेकपोस्ट होते हुए पश्चिम बंगाल के रास्ते की जाती है.
इसी तरह गोविंदपुर से जामताड़ा, मिहिजाम होते हुए पश्चिम बंगाल जाता है. वहीं चौरंगी सोलानुपर और मैथन डैम के पास बराकर नदी के रास्ते पश्चिम बंगाल व निरसा के बरबेंदिया घाट से नाव के जरिये पश्चिम बंगाल तक पशुओं की अवैध तस्करी की सूचना है. खुफिया विभाग की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.
कहा गया है कि जीटी रोड में हर सप्ताह में तीन-चार दिन 10-15 बड़े वाहनों कंटेनर, ट्रक व पिकअप वैन से रात्रि में अवैध पशुओं को ले जाया जाता है. पशु तस्कर प्रतिबंधित मांस का भी परिवहन उपरोक्त मार्गों से करते हैं.
पशु कारोबारियों और इसमें शामिल दलालों की सूची
भोला खान उर्फ भोलू खान (गया, बिहार).
आजाद खान (कोलकाता निवासी, आसनसोल में घर).
अमन सिंह (चिरकुंडा)
कलीम अंसारी (मैथन)
साधन घोष (डीबूडीह चेकपोस्ट, कुल्टी)
लंबू (आसनसोल)
श्याम तिवारी (आसनसोल)
स्वपन घोष (डीबूडीह चेकपोस्ट)
उस्मान अंसारी (पूर्वी टुंडी)
एनुल अंसारी (बरवाअड्डा)
सिराज मीट दुकान (पुरानी बाजार पानी टंकी)
मुसा शफीक कसाइखाना शफीक कसाइखाना, कमरू कसाइखाना, नइम कसाइखाना, सरफाराज कसाइखाना, अफरोज कसाइखाना, परवेज कसाइखाना. (उक्त सभी वासेपुर इलाके में हैं)
कलाम कुरैशी (आरा मोड़)
हारुन रशीद (वासेपुर)
जमशेद अंसारी (तोपचांची)
सुलतान (कतरास)
नौशाद अंसारी (महुदा)
नौशाद अली (धनसार)
शबीर अंसारी (हरिहरपुर)
शमीम शेख (जोड़ापोखर)
खलील अंसारी (बरारी).
एसपीसीए अफसरों की भूमिका पर उठे सवाल
धनबाद क्षेत्र में एसपीसीए (सोसायटी फॉर दि प्रिवेंशन ऑफ क्रूयेल्टी टू एनिमल्स) के दो पदाधिकारियों निरीक्षक अनिल व अवर निरीक्षक तरुण कुमार कई वर्षों से प्रतिनियुक्त हैं. खुफिया की सूचना के मुताबिक पशु तस्करी व प्रतिबंधित मांस के परिवहन को रोकने में उक्त दोनों पदाधिकारी सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे हैं.
कभी-कभी स्थानीय पुलिस अफसरों द्वारा छापेमारी की जाती है. एसपीए के दोनों पदाधिकारी कभी-कभी वर्दी पहनकर भी छापेमारी करते हैं. जबकि एसपीसीए एक एनजीओ है. इनके द्वारा अवैध पशु कारोबारियों व तस्करों को संरक्षण दिये जाने की सूचना की बात भी कही गयी है.
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