नयी दिल्ली : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ‘संतोषजनक’ दायरे में है और इसमें यदि 5 से 8 फीसदी की गिरावट भी आती है, तो स्थिति में कोई खतरा नहीं होगा. वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस के अनुसार, चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल ने आरबीआई को रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिए मजबूर किया है. इसके कारण मुद्रा भंडार कम हुआ है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, कुल मिलाकर विभिन्न मानदंडों के आधार पर हाल की गिरावट के बावजूद देश का विदेशी मुद्रा भंडार संतोषजनक स्तर पर है. वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बनी रहने के बावजूद भंडार में यदि 5 से 8 फीसदी की गिरावट आती है, तो इससे स्थिति कोई चुनौतीपूर्ण नहीं होगी. डीबीएस के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल में 426 अरब डॉलर से घटकर अगस्त की शुरुआत में 403 अरब डॉलर रह गया. इसका कारण अप्रैल से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आना रहा है.
रुपये के सामने अन्य मुद्राओं को देखा जाये, तो डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में गिरावट दर्ज की गयी है और वैश्विक अनिश्चितताओं और मुद्रास्फीतिक चिंता के बीच यह अमेरिकी मुद्रा की तुलना में 69 के स्तर पर पहुंच गयी. जीडीपी के प्रतिशत के रूप में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार क्षेत्र के अन्य देशों के मुकाबले कम है और यही कारण है कि जब भी अवसर मिलता है, संबंधित प्राधिकरण इसका ‘भंडार’ तैयार करते हैं.
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