नयी दिल्ली : भारत को सिक्किम क्षेत्र के उत्तरी डोकलाम के आसपास सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के लिए भूटान को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि इस संवेदनशील क्षेत्र में चीनी सेना की गतिविधियों पर रोक लगायी जा सके.
यह बात एक संसदीय समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कही है. कांग्रेस सांसद शशि थरुर के नेतृत्व वाली विदेश मामलों पर संसदीय समिति ने महसूस किया कि क्षेत्र में भारत के सामरिक हितों की रक्षा के लिए उत्तरी डोकलाम में सैनिकों की संख्या बढ़ाना जरूरी है.
मसौदा रिपोर्ट गत छह अगस्त को समिति के सदस्यों के बीच प्रसारित की गई थी. हालांकि इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि समिति क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती बढ़ाने के पक्ष में है या नहीं. भारत और चीन के सैनिक सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में गत वर्ष 16 जून से 73 दिन तक उस समय आमने सामने रहे थे जब भारतीय पक्ष ने विवादास्पद ट्राई जंक्शन में चीन की सेना द्वारा एक सड़क का निर्माण रोक दिया था.
भूटान और चीन के बीच डोकलाम को लेकर विवाद है और दोनों देश मुद्दे को सुलझाने के लिए वार्ता कर रहे हैं. संसदीय समिति ने यह सुझाव भी दिया कि हालांकि भारतीय और चीनी सेना के बीच गत वर्ष हुआ आमना सामना शांतिपूर्वक सुलझ गया है लेकिन भारत को डोकलाम क्षेत्र में सतर्क रहना चाहिए और निगरानी रखनी चाहिए.
समिति ने इसका उल्लेख किया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बटांगला..मेरूगला..सिंचेला रिजलाइन में भूटानी सैनिकों की गैरमौजूदगी का लाभ उठाया जो कि भूटान में है. उसने कहा कि इसलिए समिति सिफारिश करती है कि उत्तरी डोकलाम में अधिक संख्या में सैनिकों की तैनाती हो. भारत को भूटान को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि चीनी सेना को ट्राई..जंक्शन बिंदु की सीमा से आगे बढ़ने से रोका जा सके. इस 31 सदस्यीय समिति के सदस्य राहुल गांधी भी हैं जिसमें बहुसंख्यक सदस्य भाजपा से हैं.
समिति के कुछ सदस्यों ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में जमीनी स्थिति का जायजा लेने और वहां वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए दोनों राज्यों का दौरा किया. समिति को पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर और उनके उत्तराधिकारी विजय गोखले द्वारा कई बार स्थिति को लेकर अवगत कराया गया है.
समिति के सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को सूचित किया था कि भूटान इस मुद्दे पर मजबूती से भारत के साथ है. सूत्रों ने बताया कि चर्चा के दौरान गांधी ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से चीन के उद्देश्य और इसे लेकर भी सवाल किये थे कि चीन ने टकराव शुरू करने के लिए डोकलाम को ही क्यों चुना.