नयी दिल्ली, ब्यूरो : संसद के दोनों सदनों से अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद शुक्रवार को केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस कानून को पारित कराने के लिए धन्यवाद दिया. पासवान के साथ केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत, केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, रामदास अठावले, विजय सांपला, कृष्णाराज, अजय टमटा के अलावा लोजपा सांसद चिराग पासवान और रामचंद्र पासवान भी मौजूद थे.
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गौरतलब है कि इससे पहले भी रामविलास पासवान के नेतृत्व में दलित सांसदों की बैठक में सरकार से जल्द इस कानून का पारित कराने की मांग की गयी थी. पासवान ने इस कानून को पारित कराये जाने का श्रेय प्रधानमंत्री को देते हुए कहा कि वे समाज के वंचित तबकों के हितों को लेकर बेहद संवेदनशील रहे हैं.
उधर, राज्यसभा ने शुक्रवार को उस निजी संकल्प को खारिज कर दिया, जिसमें देश भर में आरक्षण के मामले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के साथ एकसमान व्यवहार करने के लिए संविधान में संशोधन का प्रावधान है. एससी एवं एसटी के लिए एक समान आरक्षण व्यवस्था लागू किये जाने के लिए संविधान संशोधन की मांग करने वाले इस संकल्प में चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे लागू करने में संवैधानिक व्यवस्था की दिक्कतों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार समाज के इन पिछड़े वर्गो के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
चर्चा के बाद सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद के इस इस संकल्प को 32 के मुकाबले 66 मतों से खारिज कर दिया गया. इससे पहले, जब उपसभापति हरिवंश ने मतदान प्रक्रिया शुरू करवाने को कहा, तो कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नियम किसी संकल्प पर मतदान की अनुमति नहीं देते और यह ‘अभूतपूर्व’ है. इस पर उपसभापति ने कहा कि जब एक बार प्रक्रिया (मतदान की) शुरू हो गयी, तो उसे रोका नहीं जा सकता.
इससे पहले, गहलोत ने कहा कि संसद ने एससी, एसटी और ओबीसी की सूची में में जातियों को शामिल करने या निकालने के लिए संसद द्वारा एक प्रक्रिया तय की गयी है. इस प्रकिया के अनुसार, एससी एवं एसटी में किसी जाति को शामिल करने के लिए राज्यों को अपनी सिफारिश करनी पड़ती है.