हरीश तिवारी
उत्तर प्रदेश की सहकारी संस्थाओं से सपा की सत्ता खत्म हो रही है और भाजपा का भगवा रंग इनमें गहरा होता जा रहा है. पिछले एक महीने के दौरान राज्य के जितने भी सहकारी संस्थाओं में चुनाव हुए, उसमें भाजपा के समर्थित प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. अभी तक इन संस्थाओं में सपा के लोगों का कब्जा था.
करीब पंद्रह सालों के बाद फिर से सत्ता में आयी भाजपा का परचम अब सहकारी संस्थाओं में लहराना शुरू हो गया है. पिछले एक महीने के दौरान राज्य की कई सहकारी संस्थाओं में भाजपा के नेता नियुक्त किये गये हैं. हालांकि यह सब चुनाव के लिए हुआ है. लेकिन राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा की भूमिका इसमें नकारी नहीं जा सकती है.
अब राज्य के सबसे बड़े सहकारी बैंक के लिए चुनाव होना है. हालांकि यह माना जा रहा है कि उप्र कोआॅपरेटिव बैंक के संचालक मंडल के निदेशक पद के लिए दावेदार निर्विरोध चुने जाएंगे. इसके बाद शुक्रवार को बैंक के सभापति तथा उपसभापति के लिए चुनाव होगा.
उप्र कोआॅपरेटिव बैंक के संचालक मंडल के निदेशक पदों के चुनाव के लिए पंद्रह लोगों ने एक अगस्त को नामांकन पत्र खरीदा था. इनमें चौदह लोगों ने नामाकंन किया था. अभी तक इन संस्थाओं में सपा के नेता काबिज थे.
नामाकंन पत्र दाखिल करने वालों में लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र से मथुरा निवासी पूर्व सांसद तेजवीर सिंह व भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह, मुरादाबाद से इंदिरा सिंह, मेरठ से सतीश प्रधान, इलाहाबाद से भाजपा विधायक विकास गुप्ता, कानपुर से भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह उर्फ भोले के भाई राजेंद्र सिंह, गोरखपुर से पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के बेटे जितेंद्र बहादुर सिंह, झांसी से अशोक प्रसाद, बनारस से लोक नारायण व सुरक्षित क्षेत्र से विनोद कुमार, सुरेश कुमार, अनुभव कक्कड़, अरुणेंद्र कुमार तथा कमलेश शामिल थी.
जांच में अरुणेंद्र कुमार व कमलेश के नामांकन पत्र सहीं नहीं पाये गये. इस पर उनके नामांकन खारिज कर दिये गये थे. इसी प्रकार बैंक के संचालक मंडल के पंद्रह निदेशकों में बारह पदों के लिए दावेदार मैदान में रह गये थे. इन सभी का निर्विरोध निर्वाचित होना तय है. ये सभी भाजपा के सदस्य हैं.
इसके बाद बैंक के सभापति व उपसभापति के चुनाव को लेकर रणनीति बनायी जाएगी. इन पदों के लिए शुक्रवार को चुनाव होना है. बैंक के सभापति पद के लिए पूर्व सांसद तेजवीर सिंह का नाम तय है.
उपसभापति को लेकर बृहस्पतिवार को निर्णय लिया जाएगा. इससे पहले सहकारी संस्था लैकफेड में भी भाजपा का दबदबा कायम हो गया है और यहां पर भाजपा के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र तिवारी सभापति चुने गए हैं.