इस्लामाबाद : इमरान खान को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने लाहौर नेशनल असेंबली सीट पर बुधवार को पुनर्मतगणना को खारिज कर दिया, जहां से खान ने 25 जुलाई को हुए आम चुनावों में काफी मामूली अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को पराजित किया था. अगले हफ्ते पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले खान (65) को उस समय अजीबो-गरीब स्थिति का सामना करना पड़ा, जब पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने मंगलवार को उन्हें नेशनल असेंबली में केवल सशर्त शपथ ग्रहण की अनुमति दी.
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इमरान खान ने पांच सीटों से चुनाव लड़ा था और पांचों पर विजयी हुए थे. ईसीपी ने जहां दो सीटों से उनकी जीत की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी, इसने उन्हें तीन अन्य सीटों से विजयी घोषित कर दिया, जहां से वह लड़े थे. चुनाव आचार संहिता के कथित उल्लंघन को लेकर लंबित एक मामले को देखते हुए ईसीपी ने यह निर्णय किया था.
पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) के नेता ख्वाजा साद रफीक ने एनए-131 लाहौर-9 सीट से पुनर्मतगणना के लिए याचिका दी थी, जहां से पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान केवल 680 वोटों से विजयी हुए थे. रफीक ने आरोप लगाये थे कि पीठासीन अधिकारी ने जानबूझकर सैकड़ों वोट खारिज कर दिये थे.
रफीक के वकील ने कहा कि अगर जीत का अंतर पांच फीसदी से कम है, तो पुनर्मतगणना का आग्रह वैध है. लाहौर हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसले के खिलाफ खान की याचिका स्वीकार कर ली.