नयी दिल्ली : एशियाई खेलों से पहले भारत को मंगलवार को करारा झटका लगा, जब पदक उम्मीदों में शुमार मौजूदा विश्व और राष्ट्रमंडल चैंपियन भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने कमर के दर्द का हवाला देते हुए 18 अगस्त से शुरू हो रहे इन खेलों से नाम वापिस ले लिया. मीराबाई ने भारतीय भारोत्तोलन महासंघ को इमेल भेजकर इन खेलों से बाहर रहने का अनुरोध किया है.
महासंघ के महासचिव सहदेव यादव ने कहा कि कमर के दर्द और ओलिंपिक क्वालिफायर की तैयारी के लिए उसने समय मांगा है और इन खेलों से बाहर रहने का अनुरोध किया है. पिछले कुछ समय से शानदार प्रदर्शन कर रही मीराबाई के हटने से भारत के स्वर्णिम अभियान को करारा झटका लगा है. मीराबाई से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी. वेटलिफ्टिंग में अब राखी हलधर (63 किलो), राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सतीश शिवलिंगम और अजय सिंह (77 किलो) और कांस्य पदक विजेता विकास ठाकुर (94 किलो) से भारत को बड़ी उम्मीदें है.
वेटलिफ्टिंग : मीराबाई के हटने से इन पर होंगी नजरें
राखी हल्दर (63 किग्रा वर्ग)
चानू के हटने से रेलवे की राखी हलदर से इस बार उम्मीदें है. राखी ने वर्ष की शुरुआत में 33वीं महिला सीनियर नेशनल वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रिकॉर्ड के साथ 63 किग्रा भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीत अपने शानदार फॉर्म को जता दिया है. एशियन गेम्स को लेकर तैयारी में जुटी राखी का वैसे बड़े टूर्नामेंटों में रिकॉर्ड शानदार नहीं है, लेकिन वह छाप छोड़ने को तैयार है.
सतीश शिवलिंगम (77 किग्रा) : 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले सतीश शिवलिंगम एक बार फिर से गोल्ड जीतने उतरेंगे. हालांकि इन्हें चीन और जापान के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी.
अजय सिंह (77 किग्रा) : अप्रैल में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान शानदार खेल दिखानेवाले अजय सिंह जूनियर एशियन गेम्स में भी मेडल जीत चुके हैं. इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.पिछले कुछ महीनों से अजय ने घरेलू स्तर पर आयोजित टूर्नामेंट में भी अच्छा खेल दिखाया है और एशियन गेम्स को लेकर जोरदार तैयारी कर रहे हैं. हालांकि सफर इनकी भी आसान नहीं होगा.
विकास ठाकुर (94 किग्रा) : 2014 के गोल्ड कोस्ट में ही ब्रॉन्ज मेडल अफने नाम करने वाले विकास ठाकुर 94 किग्रा वर्ग में उतरेंगे. हालांकि पिछले वर्ष एशियन गेम्स में भारत का रिकॉर्ड खराब रहा था, जिसको देखते हुए सफर मुश्किल भरा होगा.
एशियाई साइकिलिंग: पदकों का सूखा खत्म करने के लिए भारतीय खिलाड़ी हैं तैयार
अगले सप्ताह शुरू हो रहे एशियाई खेलों में भारतीय साइकिलिस्ट पदकों का लंबा इंतजार खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. एशियाई खेलों में साइकिलिंग की शुरुआत 1951 में भारत की मेजबानी में हुई थी, जिसमें भारतीय खिलाड़ियों ने तीन पदक (एक रजत और दो कांस्य) जीते थे, लेकिन इसके बाद भारत इस खेल में कभी पदक नहीं जीत सका. पीसीआरए सक्षम पैडल कार्यक्रम के लिए यहां पहुंची भारतीय साइकिलिस्ट नयना राजेश और इ चाओबा देवी ने कहा कि खिलाड़ियों की तैयार इस बार अच्छी हैं और टीम पदक की दावेदार होगी. एशियाई खेलों में पहली बार अपनी चुनौती पेश करने के लिए तैयार नयना ने कहा कि पिछले एक साल से लगातार प्रशिक्षण कर रहे हैं. मैं व्यक्तिगत और टीम स्पर्धाओं में भाग ले रही हूं, लेकिन हमारा ज्यादा ध्यान टीम स्पर्धा पर है. भारतीय साइकिलिंग महासंघ के महासचिव ओंकार सिंह ने कहा कि 15 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. हमारी स्प्रींटिंग टीम पिछले तीन महीने से जर्मनी में तैयारी कर रही हैं. व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भाग लेने वाले खिलाड़ी दिल्ली में ही तैयारी कर रहे है. ओमकार हालांकि पदक को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं दिखे.