भागलपुर : पिछले वर्ष के अगस्त में सृजन घोटाले का खुलासा होने से पूरी सरकार स्तब्ध थी. घोटाले के शुरुआत में बड़ी मछलियों के नाम आ रहे थे. इनमें राजनेता व कई रसूखदार भी थे. इस कारण केस की अहमियत व बड़ी राशि के होने पर राज्य सरकार ने केस को सीबीआइ के हवाले कर दिया.
इस तरह सीबीआइ मामले की जांच कर रही है, लेकिन अब तक की कार्रवाई पर गौर करें तो सृजन समिति के किंगपिन रजनी प्रिया समेत अन्य जांच एजेंसी की जद से बाहर है. पूरे खेल के मास्टर माइंड अभी भी बेनकाब नहीं हो सके. कार्रवाई के नाम पर कुछ सरकारी पदाधिकारी व बैंक कर्मचारी जेल के अंदर गये हैं, जो रैकेट का महज हिस्सा मात्र थे. असली खेल करने वाला व सरकारी राशि को बाजार में पूंजी निवेश करने वाला बाहर है.
जिला नजारत से 12.20 करोड़ की फर्जी निकासी से शुरू हुआ प्राथमिकी दर्ज का दौर : तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे ने जिला नजारत से फर्जी हस्ताक्षर से 12.20 करोड़ रुपये की निकासी पर प्राथमिकी दर्ज कराया था.
समिति में खाता खुलने व बंद करने की नहीं मिल रही फाइल
राज्य सरकार ने 18 अगस्त को सिफारिश की और 25 अगस्त 2017 से सीबीआइ ने जांच शुरू की. इसका कैंप कार्यालय सबौर के बीएयू परिसर में खोला गया.
25 अगस्त 2017 को जांच शुरू की थी, कुल 10 प्राथमिकी की हुई.
सीबीआइ को पूर्व में एसआइटी व आर्थिक अपराध इकाई द्वारा की गयी, जांच की तमाम फाइलें एसएसपी मनोज कुमार ने सुपुर्द कर दी थी.
सीबीआइ ने चार मामले की चार्जशीट सौंप दी है, इसमें कल्याण, जिला परिषद, भू अर्जन व नजारत शामिल है.
12 जून को सीबीआइ ने अपने दिल्ली ब्रांच में चार प्राथमिकी दर्ज की. यह जिला प्रशासन द्वारा की गयी प्राथमिकी पर आधारित थी. इस मामले में सृजन समिति की सचिव रजनी प्रिया व तत्कालीन भू अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर समेत 12 आरोपित बनाये गये थे.
भागलपुर, बांका व सहरसा में अब तक सृजन के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं 26 मामले. 18 मामले सीबीआइ के हवाले हो चुके हैं.
सहकारिता विभाग के उप सचिव राजेंद्र राम ने सृजन के अंकेक्षण करनेवाले दो अंकेक्षण पदाधिकारी तत्कालीन कृष्णकांत वर्मा व अरविंद कुमार अजय को निलंबित कर दिया है.पूर्व कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार पर आय से अधिक का मामला दर्ज कर निगरानी जांच चल रही है.