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बंगाल-झारखंड के बीच मसानजोर डैम को लेकर विवाद गहराया

झारखंड में दुमका जिले में अवस्थित मसानजोर डैम के इलाके में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतीक चिह्न लगाने और तृणमूल कांग्रेस के सफेद व नीला रंग से डैम की रंगाई किये जाने को लेकर दो राज्यों के बीच उत्पन्न विवाद गहराता जा रहा है. रविवार को इस प्रकरण को लेकर स्थानीय विधायक सह समाज कल्याण […]

झारखंड में दुमका जिले में अवस्थित मसानजोर डैम के इलाके में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतीक चिह्न लगाने और तृणमूल कांग्रेस के सफेद व नीला रंग से डैम की रंगाई किये जाने को लेकर दो राज्यों के बीच उत्पन्न विवाद गहराता जा रहा है. रविवार को इस प्रकरण को लेकर स्थानीय विधायक सह समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी स्वयं मसानजोर पहुंचीं. कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. साथ ही बंगाल सरकार के रवैये पर तीखे बोल भी बोला. उन्होंने डैम का एकरारनामा सार्वजनिक करने की भी मांग की. इस बीच, पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री सोमेन महापात्रा ने झारखंड सरकार और भाजपा नेताओं पर निशाना साधा है.
मसानजोर डैम की ओर कोई देखेगा, तो आंख निकाल लेंगे: मंत्री
दुमका. झारखंड की समाज कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को मसानजोर डैम से दूर रहने की नसीहत दी है. उन्होंने रविवार को मसानजोर डैम का दौरा किया तथा यहां पत्रकारों बातचीत की. कहा कि मसानजोर डैम को लेकर दादागिरी नहीं चलने दी जायेगी. दुमका के मयुराक्षी नदी पर बने मसानजोर डैम की ओर अगर कोई आंख उठाकर देखेगा, तो हम उसकी आंख निकाल लेंगे. लुईस ने दावा किया कि मसानजोर डैम को लेकर पूर्व में किये गये एकरारनामे की अवधि समाप्त हो गयी है. इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार उस एकरारनामे को सार्वजनिक करने से कतरा रही है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल सरकार के सिंचाई विभाग ने तृणमूल सरकार के दवाब में झारखंड के दुमका जिले में अवस्थित मसानजोर डैम की रंगाई सफेद व नीला रंग से करने का कार्य शुरू कर इस क्षेत्र के लोगों की भावना से खिलवाड़ करने का प्रयास किया है.
पश्चिम बंगाल के प्रशासन ने दुमका-सिउड़ी मुख्य पथ पर जबरन गेट बनाने का भी काम किया और उसमें पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतीक चिन्ह लगाया, जिससे इस इलाके के लोग आहत हैं. कहा कि इस क्षेत्र के आम लोगों की भावना के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ किये जाने का उनकी पार्टी और वे खुद यहां का जनप्रतिनिधि होने के नाते कभी बर्दाश्त नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता और 144 मौजा के विस्थापित लोग अपना हक और अधिकार पाने के लिए संघर्ष तेज करेंगे.
तो क्या बंगाल में झारखंड का लोगो लगाने देगी सरकार
लुईस मरांडी ने कहा कि राज्य की सीमा का ध्यान रखना चाहिए. ऐसा कर दूसरे राज्य की भावना को भड़काने का काम नहीं करना चाहिए. हम अगर पश्चिम बंगाल की सीमा में घुसकर सेवाड़ाकुड़ी जैसे जगह पर झारखंड सरकार का नाम व लोगो लगाना चाहेंगे, तो क्या वहां कि सरकार ऐसा करने देगी.
प्रधानमंत्री तक पहुंचा चुके हैं विस्थापितों की समस्या
मंत्री डॉ लुईस ने दो टूक कहा कि डैम हमारी जमीन पर बना है. विस्थापितों को उनका मुआवजा भी इतने वर्षों में सही ढंग से नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा कि जब डैम का निर्माण हुआ था उस वक्त केंद्र, बिहार और पश्चिम बंगाल तीनों जगह कांग्रेस की सरकार थी और इस वजह से ही यह साजिश के तहत बिहार मे होने बावजूद डैम का मालिकाना हक पश्चिम बंगाल को मिल गया. कहा कि उन्होंने मसानजोर डैम के निर्माण के दौरान 144 मौजा क विस्थापित लोगों की समस्याओं के शीघ्र निदान को लेकर प्रधानमंत्री का ध्यानाकर्षण सीधी बात के दौरान कराया है और विस्तृत उल्लेख करते हुए पत्र भी भेजा है.
उनसे यहां के विस्थपितों और आमलोगों का उनका हक और अधिकार दिलाने का अनुरोध किया गया है. प्रधानमंत्री द्वारा इस मामले को संज्ञान में लेकर राज्य सरकार को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया हैं. लुईस ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी उन्होंने बात कर मसानजोर डैम के आसपास के इलाके में पश्चिम बंगाल प्रशासन द्वारा अनावश्यक रूप से झारखंड के लोगों की भावना भड़काने वाले कार्य की जानकारी दी है. झारखंड इलाके में पश्चिम बंगाल प्रशासन की गतिविधियों पर अविलम्ब अंकुश लगाये जाने का भी आग्रह किया है.
मसानजोर डैम पर बंगाल का नियंत्रण: सोमेन महापात्रा
  • बोले: बंगाल व बिहार सरकार के बीच हुआ था समझौता
  • डैम के कर्मचारियों को बंगाल सरकार से मिलते हैं वेतन
  • झारखंड के मंत्री के बयान भाजपा की संस्कृति के अनुरूप
कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार के सिंचाई मंत्री सोमेन महापात्रा ने झारखंड के मयुराक्षी नदी पर बने मसानजोर डैम को पश्चिम बंगाल के नियंत्रणाधीन करार देते हुए कहा कि झारखंड के मंत्री का बयान भाजपा की संस्कृति के अनुरूप है. वह उसे महत्व नहीं देते हैं. श्री महापात्रा ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि 1950 में पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार सरकार के बीच हुए समझौते के तहत यह डैम (बांध) भले ही झारखंड के दुमका में है, लेकिन इस पर नियंत्रण पश्चिम बंगाल सरकार का है.
पश्चिम बंगाल सरकार यहां के कर्मचारियों को वेतन देती है. उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार का लोगो ‘विश्व बांग्ला’ एक वर्ष पहले डैम पर लगाया गया था. उस समय झारखंड के भाजपा के नेता कहां थे और जब डैम का रंग नीला व सादा करने का कार्य शुरू हुआ, तो इसमें बाधा दी गयी. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में मिजोरम हाउस, त्रिपुरा हाउस सहित विभिन्न राज्यों के कार्यालय हैं. वे उन राज्यों द्वारा नियंत्रित हैं तथा वहां उस राज्य की संस्कृति का पालन किया जाता है.
ऐसे में क्या पश्चिम बंगाल दावा करेगी कि वह पश्चिम बंगाल का है. उन्होंने सवाल किया कि क्या हम देश को अलग-अलग राज्य के रूप में देखना चाहते हैं? क्या देश की संघीय व्यवस्था कुछ नहीं है? उन्होंने कहा कि झारखंड के मंत्री व भाजपा नेता अशोभनीय बयान दे रहे हैं. वह इनकों महत्व नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब से केंद्र की मोदी सरकार की जनविरोधी नीति के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया है.
असम में एनआरसी के नाम पर लाखों लोगों की नागरिकता पर सवालिया निशान लगा दिया गया है और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पूरे देश की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए आवाज उठायी है, उसके बाद से ही भाजपा किसी न किसी रूप में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रही है और देश के संघीय ढांचा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि अभी तक तो यही लगता था कि भाजपा उनकी नेत्री ममता बनर्जी से भय खाती है, लेकिन अब साफ हो गया है कि भाजपा के नेताओं को नीला-सादा रंग से भी भय लगता है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के संघीय ढांचे के खिलाफ उठाये गये कदम के खिलाफ मुख्यमंत्री निश्चित रूप से सही फोरम में इसकी आवाज उठायेंगी.

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