लाहौर : लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम और दामाद मोहम्मद सफदर को एवेनफील्ड संपत्ति भ्रष्टाचार मामले में मिली कैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका शनिवार को मंजूर कर ली. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुहम्मद यावर अली ने वकील एके डोगर की याचिका पर सुनवाई के लिए एक पूर्ण पीठ का गठन किया. डोगर नवाज शरीफ के वकील होने के साथ ही मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के भी वकील हैं.
इसे भी पढ़ें : भ्रष्टाचार के मामले में शरीफ को 10, बेटी मरियम को सात और दामाद को एक साल कैद की सजा
डोगर ने एवेनफील्ड मामले में पिछले महीने शरीफ परिवार को जवाबदेही अदालत द्वारा सुनायी गयी सजा रद्द करने की मांग की है. न्यायमूर्ति अली ने न्यायमूर्ति शम्स महमूद मिर्जा, न्यायमूर्ति साजिद महमूद सेठी और न्यायमूर्ति मुजाहिद मुस्तकीम की तीन सदस्यीय पीठ गठित की, जो आठ अगस्त को डोगर की याचिका पर सुनवाई करेगी.
इस्लामाबाद की जवाबदेही अदालत ने विदेश में उनके परिवार द्वारा संपत्तियों की खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर छह जुलाई को शरीफ, मरियम और सफदर को क्रमश: 10, सात और एक साल कैद की सजा सुनायी थी. शरीफ एवं उनकी बेटी पर क्रमश: एक करोड़ पांच लाख डॉलर और 26 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया था. तीनों रावलपिंडी की अडियाला जेल में सजा काट रहे हैं.
डोगर ने अपनी याचिका में कहा कि जवाबदेही अदालत ने शरीफ परिवार के सदस्यों को राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश 1999 के तहत सजा सुनायी, जो अवैध है. उन्होंने हाईकोर्ट से जवाबदेही अदालत के फैसले को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि सैन्य तानाशाह पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अस्थायी संवैधानिक आदेश (पीसीओ) के तहत अध्यादेश लागू किया था.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि शरीफ परिवार के सदस्यों एवं अन्य की इस अध्यादेश के तहत दोषसिद्धि अवैध है. 18वें संशोधन के तहत इस कानून का अब कोई अस्तित्व नहीं है. एक ऐसे कानून के तहत शरीफ परिवार के सदस्यों को सजा दी गयी, जिसका वजूद नहीं है.