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एनआरसी. बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने ममता बनर्जी पर साधा निशाना, कहा : भारत में पर्याप्त मुस्लिम और जरूरत नहीं

कोलकाता : असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद देशभर के राजनीतिक दलों के बीच मचे घमसान में अब बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन भी कूद पड़ी हैं. तसलीमा ने कहा कि भारत में पर्याप्त मुस्लिम हैं और उसे अब पड़ोसी देशों के और ज्यादा मुसलमानों की जरूरत नहीं […]

कोलकाता : असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन का फाइनल ड्राफ्ट आने के बाद देशभर के राजनीतिक दलों के बीच मचे घमसान में अब बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तसलीमा नसरीन भी कूद पड़ी हैं. तसलीमा ने कहा कि भारत में पर्याप्त मुस्लिम हैं और उसे अब पड़ोसी देशों के और ज्यादा मुसलमानों की जरूरत नहीं है.
पश्चिम बंगाल में प्रवेश की अनुमति नहीं देने के लिए उन्होंने ममता बनर्जी पर भी हमला बोला. तसलीमा ने ट्वीट कर कहा : यह देखकर अच्छा लगा कि ममता बनर्जी 40 लाख बांग्ला बोलनेवालों के लिए इतनी ज्यादा सहानुभूति रखती हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि वह असम से बाहर किये जानेवाले लोगों को वह शरण देंगी. उनकी यह सहानुभूति तब कहां थी जब उनकी विरोधी पार्टी ने मुझे पश्चिम बंगाल से बाहर कर दिया था.
बांग्लादेशी लेखिका ने कहा : ममता के अंदर सभी बेघर बांग्ला बोलनेवालों के लिए सहानुभूति नहीं है. यदि उनके अंदर सहानुभूति होती तो मेरे लिए भी होती. वह मुझे भी पश्चिम बंगाल में आने की अनुमति देतीं. उन्‍होंने सुझाव दिया कि किसी भी व्यक्ति को अवैध प्रवासी नहीं कहा जाना चाहिए. बांग्लादेश के लोग जो अवैध तरीके से भारत आये, उनका काम भारतीय कानून के मुताबिक अवैध है, लेकिन वे अवैध नहीं हैं.
तसलीमा ने कहा : शुरुआती दौर में अच्छे जीवन की तलाश में मानव अफ्रीका से एशिया आया. उसके बाद से मानव एक जगह से दूसरे जगह जा रहा है. हमारे पूर्वज अवैध नहीं थे. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले की अपेक्षा काफी सुधर चुकी है और बांग्लादेशी प्रवासियों को वापस अपने देश लौट जाना चाहिए.
उन्होंने कहा : भारत में पर्याप्त मुस्लिम हैं. भारत को पड़ोसी देशों के और ज्‍यादा मुसलमानों की जरूरत नहीं है. लेकिन समस्या यह है कि भारतीय राजनेताओं को उनकी जरूरत है. असम में सोमवार को प्रकाशित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन के फाइनल ड्राफ्ट में नाम नहीं होने से 40 लाख से अधिक लोगों की चिंताएं बढ़ गयी हैं.

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