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बिहार : बोरवेल से सुरक्षित निकाली गयी सन्नो, मां ने कहा- विश्वास व दुआ आया काम

मुंगेर : बिहार के मुंगेर जिले में मंगलवार शाम 4.05 मिनट पर 110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की सन्नो को बुधवार रात 9.35 बजे सकुशल बाहर निकाल लिया गया. इस दौरान घटनास्थल मुंगेर जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत मुर्गीयाचक मोहल्ले में हजारों की भीड़ लगी रही. सन्नो अपने ननिहाल आयी हुई थी, […]

मुंगेर : बिहार के मुंगेर जिले में मंगलवार शाम 4.05 मिनट पर 110 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की सन्नो को बुधवार रात 9.35 बजे सकुशल बाहर निकाल लिया गया. इस दौरान घटनास्थल मुंगेर जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत मुर्गीयाचक मोहल्ले में हजारों की भीड़ लगी रही. सन्नो अपने ननिहाल आयी हुई थी, जहां घर के आंगन में एक बोरवेल में गिर गयी थी. बोरवेल में बच्ची को जिंदा रखने के लिए ऑक्सीजन पहुंचायी गयी थी.

इससे पहले मासूम की जान बचाने के लिए हर कोई अपने-अपने तरीके से मदद कर रहा था. दो दिन पहले ही सन्नो अपने पिता के साथ नाना उमेश नंदन साह के घर आयी थी. पुलिस प्रशासन ने एनडीआरएफ की टीम को बुलावा भेजा. बच्ची को बोरबेल से निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया था. आइटीसी के चेयरमैन वाइपी सिंह ने घटनास्थल पर आधुनिकतम लाइट की व्यवस्था की थी, ताकि 110 फीट गहरे बोरबेल में गिरी बच्ची की हालात को देखा जा सके. शहर के मुर्गियाचक में उमेश नंदन साव के घर बोरवेल में गिरी तीन वर्षीया बच्ची सना उर्फ सन्नो को 28 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन से बाहर निकाला गया और अब यह ऑपरेशन समाप्त हो गया.

सन्नो को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीम को लगाया गया था. साथ ही पूरा प्रशासनिक महकमा इस ऑपरेशन को सफल बनाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. एक ओर जहां विद्यालयों से लेकर मंदिर-मसजिद-गुरुद्वारे में सना को सकुशल बाहर निकालने के लिए दिन भर दुआओं का दौर चलता रहा, वहीं परिजनों में कोहराम मचा है. मां कभी बोरवेल के मुंह पर बच्ची को आवाज लगाती रही, तो कभी खुद बेहोश हो जाती. हर किसी के जुबां पर बस एक ही दुआ कि भगवान सना को सलामत रखे.

खेलने के दौरान बोरवेल में गिरी थी बच्ची
मुर्गियाचक निवासी उमेश नंदन साव ने सोमवार को अपने घर के सबसे आगे वाले कमरे में समरसेबुल के लिए बोरवेल करवाया था. इसमें पाइप डाल कर आधे बोरवेल में ग्रेबुल डाला जा चुका था और बोरवेल को एक पतले बोरे से ढ़क दिया गया था. मंगलवार को उमेश नंदन बोरवेल के पास ही बैठा हुआ था और उसकी 3 वर्षीय नतनी सना उर्फ सन्नो वहीं पर अपने हाथ में एक छोटा बैडमिंटन और एक प्लास्टिक का मग लेकर खेल रही थी. खेलने के क्रम में ही सना का पांव फिसल गया और वह बोरवेल में 25 फीट के गहराई पर फंस गयी. इसके बाद परिजन तथा आस-पड़ोस के लोगों ने बच्ची को बाहर निकालने का प्रयास किया, लेकिन बोरवेल में डाले गये पाइप के हिलने-डोलने से बच्ची फिसल कर और नीचे चली गयी, जिसकी दूरी 43 फुट मापी गयी. घटना की सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन का पूरा दल मौके पर पहुंचा और बचाव कार्य में जुट गयी.

जेसीबी और पोकलेन से की गयी खुदाई
बोरवेल में काफी बुरी तरह से बच्ची के फंस जाने के कारण शाम 7 बजे जेसीबी मंगायी गयी और बोरवेल के समानांतर घर के आगे सड़क की खुदाई शुरू कर दी गयी. रात लगभग 10 बजे खगड़िया और भागलपुर से एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य में जुट गयी, पर लगभग 10 फुट की खुदाई के बाद जेसीबी से और गड्ढा खोदना मुशकिल हो गया. इसके बाद एसडीआरएफ ने पोकलेन मंगवाया तथा पोकलेन के मदद से 25 फीट तक की खुदाई की गयी. इसके बाद पोकलेन से खुदाई करना भी मुश्किल हो गया और तब एसडीआरएफ की टीम खुद कुदाल व फावड़े की मदद से खुदाई में जुट गयी. वैसे बुधवार को अपराह्न लगभग 03:00 बजे एनडीआरएफ की टीम को पटना से हेलीकॉप्टर द्वारा मुंगेर लाया गया और 03:20 बजे एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन का कमान संभाला.

जुगाड़ तकनीक का भी लिया गया सहारा
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कई जरूरी इक्यूपमेंट उपलब्ध नहीं रहने के कारण एसडीआरएफ की टीम को जुगाड़ तकनीक का भी सहारा लेना पड़ा. चूंकि एसडीआरएफ की टीम जमीन के सतह से जब 25 फुट की गहराई तक पहुंच गया, तब वहां पर हवा की कमी के कारण उसे ऊमस से परेशानी होने लगी. इसके बाद गड्ढ़े के ऊपर बांस बल्ले के सहारे दो पंखे लगाये गये तथा एक एजॉस्ट फैन लगाया गया. पर जैसे-जैसे गड्ढ़े की गहराई बढ़ते गयी, वैसे-वैसे दोनों पंखा भी बेअसर हो गया. 45 फुट गड्ढे खोदने के बाद जब बोरवेल में फंसी बच्ची के समानांतर सुरंग की खुदाई की जाने लगी, तब पानी के संभावित रिशाव व बहाव की स्थिति से निबटने के लिए सेफ्टी टैंक की व्यवस्था की गयी. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ जमी रही, जो सना के सकुशल निकालने की वाट जोह रहा था.

मौके पर जमे रहे वरीय अधिकारी
सना को बचाने के लिए प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. मुंगेर के प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार पाल, डीआइजी जीतेंद्र मिश्रा, पुलिस अधीक्षक गौरव मंगला, सदर अनुमंडल पदाधिकारी खगेशचंद्र झा, एसएसपी हरिशंकर कुमार, एएसपी अभियान राणा नवीन के अलावा जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी पिछले 27 घंटे तक मौके पर मौजूद रहे. वैसे आखिरी समय में बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में काफी परेशानी हुई.

पूरी रात जगी रही मां, बच्ची की साहस को सलाम

तीन साल की सना ने जिस तरह से इतने बड़े हादसे में अदम्य साहस का परिचय दिया, उस तरह का साहस किसी बड़े लोगों में संभव नहीं हो पाता है. एक ओर जहां बोरवेल में डाले गये सीसीटीवी कैमरे की मदद से बच्ची का हिलने-डोलने का पता चल रहा था, वहीं दूसरी ओर जब बच्ची के रोने की आवाज आने लगी, तब उसकी मां सुधा देवी ने बोरवेल में झांकते हुए जोर से आवाज लगायी कि बेटा मैं भी अंदर में ही हुं, तुमको जल्दी ही बाहर निकाल लेंगे. जब भी बच्ची के रोने की आवाज आती थी, तब उसकी मां उसे यही सांत्वाना देती रही. हर आधे घंटे, एक घंटे पर बच्ची की आवाज सुनाई दे रही थी और उसकी मां उसे बार-बार दिलासा दे रही थी. बुधवार की सुबह जब बच्ची से पूछा गया कि चॉकलेट खाओगी, तब बच्ची ने हांमी भरी. जिसके बाद एक पतली रस्सी के सहारे उसके हाथ तक चॉकलेट पहुंचाया गया, किंतु बच्ची का हाथ इस कदर उपर की ओर फंसा हुआ था कि वह अपने हाथ को मुंह तक नहीं पहुंचा पायी और चॉकलेट उसके हाथ में ही रह गया. जो भी हो इस मासूम बच्ची ने जो साहस दिखाया, वैसा बड़ों से काफी मुश्किल था.

कितना लाचार हूं, अपनी बच्ची को एक बूंद पानी भी पिला नहीं सकता
एक ओर जहां सना की मां सुधा देवी लगातार अपनी बच्ची से बात कर उसे सांत्वना दिये जा रही थी. वहीं दूसरी ओर सना के पिता नचिकेता मायूस हो कर बैठा हुआ था. उन्होंने बताया कि सुबह सना से उसकी बात हुई, सना ने उनसे कहा कि ‘पापा मुझे बाहर निकालो, मुझे जोर से प्यास लगी है’. किंतु जिस स्थिति में वह फंसी हुई है, उस स्थिति में उसे पानी पिलाना मुमकिन ही नहीं था. कितना लाचार हूं कि अपनी फूल सी बच्ची को मैं एक बूंद पानी तक पिला नहीं सकता. उन्होंने बताया कि कार्य में व्यस्तता के कारण मंगलवार को वे दोपहर का खाना खाने के लिए भी घर पर नहीं जा पाये थे. अचानक 4:15 बजे उसे फोन पर सूचना मिला कि सना बोरवेल में गिर गयी है. जिसके बाद वह बैंक से सीधा घर पहुंचा.

लगातार बच्ची को पहुंचायी जाती रही ऑक्सीजन
बच्ची के रेस्क्यू में स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम लगी हुई है. बच्ची को पिछले 24 घंटे से बोरवेल के गड्ढे में पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन पहुंचाने का काम किया जा रहा है. अबतक छह ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत हो चुकी है. जिसमें तीन जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल है. जबकि सातवां ऑक्सीजन सिलेंडर को लगभग 3 बजे लगाया गया है. जिसके माध्यम से गड‍्ढे में ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है. जबकि बच्ची के निकलते ही इलाज की बेहतर सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एसी एंबुलेंस एवं चार की संख्या में चिकित्सकों को मौके पर ही तैनात रखा गया है. जबकि सदर अस्पताल में भी फुल प्रूफ व्यवस्था कर रखा गया है. ताकि बच्चों को अस्पताल में बेहतर सुविधा मिल सके.

खुदाई में तकनीक का दिखा अभाव

बच्ची के बोरिंग में गिरने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने कमान संभाल लिया. छोटे से मुंगेर जिला में जो संसाधन था उसमें जिला प्रशासन ने अपनी पूरी शक्ति झोंक दी. सर्वप्रथम स्थानीय स्तर पर जेसीबी एवं पोकलेन से खुदाई प्रारंभ किया गया. लेकिन रात 11 बजे के बाद इन मशीनों से खुदाई बंद कर दिया गया. क्योंकि मशीन अंदर जाने के बाद फंस सकती थी. इन मशीनों से स्थानीय इंजीनियर के बताये अनुसार खुदाई किया गया. जो रेस्क्यू के लिए नियमानुसार खुदाई नहीं कर सकी. उसके बाद खगड़िया एवं भागलपुर के एसडीआरएफ की टीम ने खुदाई का कमान संभाला. लेकिन मूलत: बाढ़ के समय एसडीआरएफ राहत कार्य चलाने में प्रशिक्षित होते हैं. बावजूद एसडीआरफ की टीम ने 25 फीट के बाद 45 फीट तक की खुदाई की. खुदाई वाले कुएं से एक निकलता था तो दूसरा एसडीआरएफ जवान अंदर जाता था और खुदाई को बदस्तूर जारी रखा, लेकिन उनके खुदाई में तकनीक का घोर अभाव दिखा.

आपदा में मुंगेर के युवाओं ने दिखायी दिलेरी
जैसे ही सना के बोरवेल में गिरने की बात लोगों को पता चला वैसे ही लोग उसके घर की ओर दौड़ पड़े. जब प्रशासनिक महकमा की ओर से बच्ची को निकालने के लिए कार्रवाई प्रारंभ की गयी तो मुंगेर के युवा प्रशासन के कदम से कदम मिला कर चलने का निर्णय लिया. फिर क्या था, मुंगेर के युवा इस आपदा से निपटने में प्रशासन के साथ जुट गया. दो से तीन दर्जन युवाओं की टोली पहले जेसीबी से खुदाई में सहयोग किया. उसके बाद पॉकलेन बुलाया गया. जिसने 25 फीट तक की खुदाई की. इस दौरान भी युवा लगे रहे.

खगड़िया एवं भागलपुर से एसडीआरएफ की टीम आयी और उसने सीधी खुदाई प्रारंभ किया. एसडीआरएफ जवान कुदाल व खुरपी से खुदाई करते थे और मिट्टी को एक बाल्टीनुमा टब में भर दिया जाता था. जिसे स्थानीय युवाओं की टीम चेन पुल्ली के सहारे रस्सी से खींच कर बाहर निकालते. जिसके बाद मिट्टी को तेगाड़ में भरा जाता था और चेन सिस्टम से खड़ा युवक एक दूसरे के हाथ में मिट्टी भरे तेगाड़ से चिह्नित स्थान पर मिट्टी को उढेल रहे थे. जिसके बाद पॉकलेन से मिट्टी को हटाया जाता था.

युवाओं की टोली अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर रस्सी खींचने एवं मिट्टी फेंकने का काम कर रहे थे. इन युवाओं को न तो भूख लग रही थी और न ही प्यास. युवाओं का एक ही मकसद था कि जल्दी से गड‍्ढा हो और रेस्क्यू टीम वहां पहुंच कर बच्ची को सकुशल निकाल ले. पसीने से लथपथ युवा लगातार रस्सी खींचने एवं मिट्टी फेंकने में लगा रहा. आपदा की इस घड़ी में मुंगेर के युवाओं ने जो दिलेरी दिखायी वह काबिले तारीफ है.

सना को लेकर गमगीन था मुहल्ला, सैकड़ों घरों में नहीं जले चूल्हा
सना उर्फ सन्नो के बोरवेल में गिरने से यूं तो पूरा मुंगेर गम में डूब गया. शहर के मुर्गियाचक, गांधी चौक, रामपुर भिखारी, पूरबसराय सहित मुर्गियाचक से सटे आधे दर्जन मुहल्लों में मातमी सन्नाटा पसर गया. मुर्गियाचक मुहल्ले के लोग रात भर जगे रहे. मंगलवार को जहां इस मुहल्ले के सैकड़ों घरों में खाना नहीं बना. वहीं बुधवार को भी चुल्हा नहीं जला. बच्चों को लोगों ने बिस्कुट, चुड़ा एवं बाजार से खाने की सामग्री खरीद कर खिलाते देखे गये. मुहल्ले के अधिकांश लोग मंगलवार की रात से भूखे रहे, वहीं बुधवार को भी लोगों को खाना नसीब नहीं हुआ.

लोगों ने बताया कि हमारे मुहल्ले की बच्ची थी. उसका चेहरा सामने नाचता था. जिसके कारण पेट की भूख ही मर गयी. सिर्फ हमलोग सना के बाहर निकलने की दुआ कर रहे थे. इधर सना के मूल घर वीर कुंवर सिंह कॉलोनी में भी बच्ची के गम में कई घरों में चूल्हा नहीं जला. लोगों के आंखों से आंसू भी टपक रहे थे.

सुशील मोदी ने रेस्क्यू टीम को दी बधाई
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मुंगेर की 3 वर्षीय बच्ची सन्नो की सफल व सुरक्षित रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीम को बधाई दी है.सुशील मोदी ने कहा है कि सन्नो की पूरी मुस्तैदी से इलाज का प्रशासन को निर्देश दिया गया है,अगर जरूरत पड़ी तो बच्ची को बेहतर इलाज के लिए पटना भी लाया जायेगा. मुख्यमंत्री सहित पूरी सरकार रेस्क्यू की पल-पल की खबर ले रही थी. मुख्यमंत्री की त्वरित पहल से एनडीआरएफ की टीम को हेलीकॉप्टर से बिहटा लाकर बिना देरी किये मुंगेर पहुंचाया गया. स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह तत्पर रहा, नतीजतन बच्ची की सकुशल रेस्क्यू संभव हो पाई है. पूरी रेस्क्यू टीम बधाई का पात्र है. भविष्य में ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो बोरवेल खोद कर खुला छोड़ देते है.

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