पटना : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक बालिका गृह में 34 लडकियों के यौन शोषण मामले को ‘‘दिल दहला देने वाला’ और ‘‘मानवता पर धब्बा’ बताया. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाये. राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने राज्य पोषित ऐसे आश्रय गृहों में रहने वाली पीडित लडकियों और महिलाओं को जल्द सुनवाई के लिए त्वरित अदालतों का गठन किए जाने के साथ इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन को भी पत्र लिखा है. राज्यपाल ने हालांकि, मुजफ्फरपुर बालिका यौन उत्पीडन मामले में राज्य सरकार द्वारा की गयी त्वरित कार्रवाई और इसे सीबीआई को सौंपने के फैसले की प्रशंसा भी की है.
मुख्यमंत्री को लिखे एक अन्य पत्र में राज्यपाल ने ऐसे अन्य अल्पावास गृहों में कुप्रबंधन को लेकर मीडिया में आयी रिपोर्ट की तत्काल और गहन जांच तथा उनकी सतत निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित किए जाने को कहा है. राज्यपाल ने इन आश्रय गृहों के नियमित और स्थायी आधार पर एक संस्थागत तंत्र को विकसित किए जाने की भी आवश्यकता पर बल दिया है. राज्यपाल ने भी मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की इसको लेकर की गयी सिफारिशों को भी लागू करने को कहा है. बिहार सरकार द्वारा प्रदेश के सभी आश्रय गृहों का हाल में सामाजिक अंकेक्षण कराया गया था जिसमें मुजफ्फरपुर बालिका गृह का मामला प्रकाश में आया था. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कुमार से इसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग से सुझाव प्राप्त करने को भी कहा है.
Bihar Governor Satya Pal Malik writes to Chief Justice of Patna High Court, Chief Minister Nitish Kumar & Union Law Minister Ravi Shankar Prasad on #Muzaffarpur shelter home case, asking for monitoring of all such shelter homes in state & strict action against those found guilty
Bihar Governor Satya Pal Malik writes to Chief Justice of Patna High Court, Chief Minister Nitish Kumar & Union Law Minister Ravi Shankar Prasad on #Muzaffarpur shelter home case, asking for monitoring of all such shelter homes in state & strict action against those found guilty
— ANI (@ANI) August 1, 2018
गौरतलब हो कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में रह रही 44 लड़कियों में 42 की मेडिकल जांच कराये जाने पर उनमें से 34 के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो चुकी है. मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ‘कोशिश’ टीम की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया था. करीब 100 पेज की सोशल ऑडिट रिपोर्ट को टीम ने 26 मई को बिहार सरकार, पटना और जिला प्रशासन को भेजा. इसके बाद बालिका गृह से 46 किशोरियों को 31 मई को मुक्त कराया गया. इनको पटना, मोकामा और मधुबनी के बालिका गृह में भेजा गया. बालिका गृह का संचालन कर रही एनजीओ के लोग बच्चियों के साथ रेप करते थे. इस कांड में नेताओं की भागीदारी की बात भी सामने आयी थी. मामले में ब्रजेश ठाकुर, बालिका गृह की अधीक्षिका इंदू कुमारी समेत 10 लोगों को जेल भेजा जा चुका है.एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए इश्तेहार दिये गये हैं और कुर्की की कार्रवाई की जा रही है.