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असम की समस्या

1901 के बाद से अब तक असम की जनसंख्या छह गुनी हो गयी है. पहले बंगाल विभाजन, फिर देश विभाजन और फिर बांग्लादेश बनने के दौरान बांग्लादेशी असम में जा बसे. अपने लोकतंत्र की खूबसूरती डायवर्सिटी ही है, पर इसके नाम पर ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता. अगर किसी भू-भाग की जनसंख्या वहां एक प्लान […]

1901 के बाद से अब तक असम की जनसंख्या छह गुनी हो गयी है. पहले बंगाल विभाजन, फिर देश विभाजन और फिर बांग्लादेश बनने के दौरान बांग्लादेशी असम में जा बसे. अपने लोकतंत्र की खूबसूरती डायवर्सिटी ही है, पर इसके नाम पर ब्लैकमेल नहीं किया जा सकता.
अगर किसी भू-भाग की जनसंख्या वहां एक प्लान के तहत राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रही है, लोकल वैल्यूज को धार्मिक आधार पर बदल रही है, तो उसका विरोध करना ही चाहिए, क्योंकि यह एक तरह का सुनियोजित हमला ही है.
हालात असम को म्यांमार बनने पर मजबूर करें, उससे पहले इसको सुलझाना जरूरी है. युद्ध के इस फ्रंट को समझना हम सबके लिए जरूरी है. इस मुद्दे पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है.
सिद्धार्थ सिन्हा, कांके रोड, रांची

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