नयी दिल्ली : 2019 में हर कीमत पर नरेंद्र मोदी-अमित शाह की अगुवाई वाली भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने की जिद पाले विपक्ष अपने निजी अहम को छोड़ कर महागंठबंधन बनाने के रास्ते पर आगे बढ़ चला है. इस दिशा में विपक्ष को शुरुआतीसफलता देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश में मिलती दिख रही है. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी की कांग्रेस, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अजीत सिंह का राष्ट्रीय लोकदल 80 सीटों वाले उत्तरप्रदेश महागंठबंधन करेंगे. इनके बीच सीट शेयरिंग के फार्मूले पर बातचीत शुरू होनी है.
विपक्षी दलों का उत्साह भाजपा के लिए हाइप्रोफाइल लोकसभा सीट रही गोरखपुर व फूलपुर पर मिली जीत के बाद बुलंद है. ये सीटें क्रमश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की थीं.
पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश की शानदार जीत की बदौलत ही एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला था. 80 सीटों में बीजेपी अपने सहयोगी अपना दल के साथ 73 सीटें जीत ली थी. इसमें दो सीटें अपना दल की हैं. ऐसे में विपक्ष यह चाहता है कि वे यहां महागंठबंधन बना कर भाजपा को मात देें और अधिक से अधिक सीटें जीत लें.
सूत्रों का कहना है कि बीते सप्ताह विपक्षी के बड़े नेता व एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात की. इस भेंट में भी विपक्षी एकता और कुछ महीने में तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में गंठबंधन की संभावनाओं पर बात हुई.
मायावती मध्यप्रदेश में कांग्रेस से 50 सीटें चाह रही है, पर वह उन्हें 22 सीटें देने को राजी है. इस बीच बसपा सूत्रों का कहना है कि वे 30 सीटों पर किसी हाल में नहीं मानेंगे. ऐसे में संभावना है कि कांग्रेस थोड़ी उदारता दिखाते हुए इस मांग पर राजी हो जाये. बसपा के साथ गठजोड़ से कांग्रेस को दलित वोटों का लाभ होगा, खासकर यूपी से मध्यप्रदेश के इलाकों में.
गंठबंधन का कैसा है फार्मूला?
उत्तरप्रदेश में गंठबंधन के जिस शुरुआती फार्मूले पर चर्चा हो रही है, वह थोड़ा चौकाने वाला है. उत्तरप्रदेश में कांग्रेस को आठ सीटें, 32 सीटें सपा को और तीन सीटें अजीत सिंह की पार्टी को देने व शेष सीटों मायावती की बसपा को देने पर शुरुआती चर्चा हो रही है. यानी मायावती की पार्टी सर्वाधिक सीटों पर लड़ सकती है. मायावती पहले ही कह चुकी हैं कि सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर वे गंठबंधन के लिए राजी नहीं होंगी.
कांग्रेस अभी अपने बुरे दौर में है, इसलिए इस संख्या पर थोड़ा मोल-भाव कर राजी हो सकतीहै. उधर, कांग्रेस झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु व केरल में भी महागंठबंधन तैयार करने पर काम कर रही है. कांग्रेस अपने कम प्रभाव वाले राज्य में समझौता करने को भी राजी नजर आ रही है.
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