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पत्नी ने कहा, काम का बोझ बढ़ा कर स्टाफ क्यों हटाया

मुजफ्फरपुर/मेहसी : सर, मेरे सुहाग को वापस ला दीजिये. बैंक और प्रबंधन से मुझे कोई शिकायत नहीं रहेगी. प्रबंधन काम का बोझ दे दिया. सहायक स्टाफ को क्यों हटा लिया? मेरे पति का स्केल वन पर प्रमोशन हुआ था. फिर किस परिस्थिति में उन्हें स्केल टू के बड़े ब्रांच का प्रबंधक बना दिया गया. वे […]

मुजफ्फरपुर/मेहसी : सर, मेरे सुहाग को वापस ला दीजिये. बैंक और प्रबंधन से मुझे कोई शिकायत नहीं रहेगी. प्रबंधन काम का बोझ दे दिया. सहायक स्टाफ को क्यों हटा लिया? मेरे पति का स्केल वन पर प्रमोशन हुआ था. फिर किस परिस्थिति में उन्हें स्केल टू के बड़े ब्रांच का प्रबंधक बना दिया गया. वे कहते थे कि साहेब से बोले हैं कि कोई सीनियर प्रबंधक जल्द देंगे. कभी कहते थे कि साहब घर से 100 किलोमीटर दूर ट्रांसफर कर देने की बात कर रहे हैं. वे घर को भी बैंक कार्यालय बना लिये थे.
उक्त बातें सोमवार को उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के आरएम डीपी सिंह को मृतक शाखा प्रबंधक अशोक कुमार गुप्ता की पत्नी अनिता देवी रो-रो कर कह रही थी. आरएम ने आश्वासन दिया कि बैंक प्रबंधन तो उन्हें वापस नहीं ला सकती, लेकिन बैंक की ओर से दी जाने वाली सभी लाभ मिलेंगे. बता दें कि उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक मोतीपुर के प्रबंधक पूर्वी चंपारण के मेहसी थाना क्षेत्र के कसबा मेहसी निवासी अशोक कुमार गुप्ता ने बैंक में ही काम के बोझ से शुक्रवार को जहर खा लिया.
इलाज के दौरान पटना पारस हॉस्पिटल में उनकी मौत हो गयी थी. उनके परिवार में पत्नी अनिता देवी, तीन पुत्र अभिषेक कुमार उर्फ गोलू 25 वर्ष घर पर ही रह प्रतियोगिता की तैयारी करता है. किशन कुमार 20 वर्ष बीटेक का छात्र है. अंकित कुमार 13 वर्ष नौवीं का छात्र है. अशोक महीनों से चिंतित रहा करते थे. इसी कारण उनका पुत्र अभिषेक कुमार बाइक से प्रतिदिन घर से मोतीपुर बैंक ले जाता था. शुक्रवार को जब अभिषेक अपने पिता को लाने के लिए बस स्टैंड के पास ही पहुंचा था कि बैंक के किसी कर्मचारी का फोन आया कि उनकी तबीयत अचानक खराब हो गयी है.

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