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विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे प्रेम कुमार पोद्दार

रांची : स्वर्गीय प्रेम कुमार पोद्दार समाज व व्यापारियों के लिए आदर्श हैं. वह एक सरल, सुलझे व नम्र व्यक्तित्व के धनी थे. 14 साल की उम्र में ही वह अपने पिता स्वर्गीय सत्यनारायण पोद्दार के साथ व्यापार से जुड़ गये थे. उन्होंने अपने छोटे भाई चंद्र किशोर पोद्दार के साथ व्यापार को नयी ऊंचाइयाें […]

रांची : स्वर्गीय प्रेम कुमार पोद्दार समाज व व्यापारियों के लिए आदर्श हैं. वह एक सरल, सुलझे व नम्र व्यक्तित्व के धनी थे. 14 साल की उम्र में ही वह अपने पिता स्वर्गीय सत्यनारायण पोद्दार के साथ व्यापार से जुड़ गये थे. उन्होंने अपने छोटे भाई चंद्र किशोर पोद्दार के साथ व्यापार को नयी ऊंचाइयाें तक पहुंचाया. वह हर कार्य को जोश व ऊर्जा के साथ पूरा करते थे, चाहे व्यापार से संबंधित हो या परिवार व समाज से जुड़ा क्यों न हो. उनका प्रत्येक कार्य श्रेष्ठतम होता था.
वह व्यापार के अलावा अपना समय व शक्ति सामाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करने में लगाते थे. वह चेेंबर ऑफ कॉमर्स के दो वर्ष तक अध्यक्ष रहे. वह संत जेवियर्स कॉलेज के गवर्निंग बॉडी के सदस्य, रांची क्लब के सचिव, रेडक्रॉस सोसाइटी के फाइनेंस चेयरमैन, रांची गोशाला न्यास के चेयरमैन थे. इसके अलावा उन्होंने रामकृष्ण मिशन, डीएवी ग्रुप व नागरमल मोदी सेवा सदन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
दोस्तों के बीच काफी प्रिय थे स्वर्गीय प्रेमकुमार पोद्दार : स्वर्गीय प्रेमकुमार पोद्दार अपने दोस्तों में बहुत प्रिय थे. वह अपने दोस्त व मेहमान को खुश करने का हमेशा प्रयास करते थे. उनकी दिनचर्या सादगी भरी थी. सुबह जल्दी उठ कर याेग क्रिया में लग जाते थे. वह सुबह साइकिल से 10 से 12 किमी भ्रमण के लिए निकल जाते थे. वह समय के पाबंद थे और समय पर कार्यक्रम में पहुंच जाते थे.
उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह अमीर व गरीब में कभी भेदभाव नहीं रखते थे. फल व सब्जी बेचनेवाले को भी महत्व देते थे. स्कूल में नामांकन कराना हो, धर्मशाला की बुकिंग करनी हो या फिर डॉक्टर का नंबर दिलवाना हो, इस कार्य को करने से उनको आत्मसंतोष मिलता था. 1999 में गंभीर रूप से बीमार होने के बाद लंंबी बीमारी से जूझते हुए 15 अगस्त 2001 को उनकी मृत्यु हो गयी. उन्होंने जीवन के अंतिम समय में भी जोश व उत्साह के साथ जीना सिखाया.
पुनीत व पंकज पोद्दार ने भी कम उम्र में ही संभाल लिया था व्यापार
स्वर्गीय प्रेम कुमार पोद्दार के दाेनों पुत्र पुनीत पोद्दार व पंकज पोद्दार ने भी कम उम्र में अपने पिता का व्यापार संभाल लिया था. अपने पिता से दोनों भाइयाें ने नम्रता, ईमानदारी व कठिन परिश्रम सीखे. उनके आदर्श पर दोनाें भाई चल रहे हैं और परिवार के कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं. आज प्रेमसंस ग्रुप 2500 से ज्यादा सहयोगी काम करता है.
दोनों भाई प्रेमसंस मोटर्स के नाम से मारुति सुजुकी, हाेंडा, अशोक लिलैंड के अधिकृत विक्रेता हैं. वहीं, बाबुलाल प्रेम कुमार के नाम से टेक्सटाइल्स एंड गारमेंट डिस्ट्रीब्यूटर, मुभा इंडस्ट्रीज के नाम से स्लीपर की फैक्टरी व कंस्ट्रक्शन का व्यापार है. दोनों भाई भी अपने पिता की तरह अन्य संस्थाओं से जुड़े हैं. रामकृष्ण मिशन, चेंबर, सेवा सदन व डीएवी ग्रुप से जुड़े हुए हैं.
राजीव बारोलिया के साथ मिल कर प्रेमसंस एंड बारोलिया ट्रस्ट के तत्वावधान में दवाई दोस्त का प्रोजेक्ट चलाया है. इसके माध्यम से 21 दुकानें रांची में चल रही हैं. दुकान में दवाइयों पर 50 से 85 फीसदी छूट दी जाती है. पोता अवध पोद्दार भी ग्रुप ऑटोमोबाइल व्यवसाय में योगदान दे रहे हैं. उन्हें हाल ही में मारुति सुजुकी यंग इंटरप्राइजेज अवार्ड मिला है. प्रेमसंस ग्राहक देवो भव: के भाव से काम करता है.

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