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दरभंगा में एसबीआइ ने नकली सोना के बदले दे दिया गोल्ड लोन

दरभंगा : सोना के बदले पीतल से बने आभूषण देकर एसबीआई की कमर्शियल चौक शाखा से गोल्ड लोन के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये निकालने का मामला प्रकाश में आया है. इसका खुलासा तब हुआ जब सेंट्रल आडिट की टीम बैंक में पहुंची. आडिट के दौरान गोल्ड लोन के रूप में रखे कुछ सोने के […]

दरभंगा : सोना के बदले पीतल से बने आभूषण देकर एसबीआई की कमर्शियल चौक शाखा से गोल्ड लोन के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये निकालने का मामला प्रकाश में आया है. इसका खुलासा तब हुआ जब सेंट्रल आडिट की टीम बैंक में पहुंची. आडिट के दौरान गोल्ड लोन के रूप में रखे कुछ सोने के सेंपल की जांच की गयी.
जांच में सोना नकली पाया गया.यह देख जमा सभी सोने की जांच कराने का निर्णय लिया गया.
सोना जांचने वाली मशीन ‘कैरोमीटर’ से गोल्ड लोन के रूप में जमा सभी सोने की जांच के बाद करीब डेढ़ करोड़ रुपये के फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया. लगभग 315 गोल्ड लोन खाता में से एक सौ खाते में जमा सोना नकली निकला. यह देख बैंक अधिकारियों के हाथ पांव फुल गये.
शनिवारदरभंगा में एसबीआइको बैंक में साप्ताहिक छुट्टी के बाद भी दिन भर गोल्ड लोन से संबंधित फाइल को खंगाला जाता रहा. इस बीच नकली सोना जमा कर लोन लेने वाले कुछ लोगों से अधिकारियों ने लिया गया पैसा वापस जमा करा लिया है. केंद्रीय ऑडिट टीम ने पटना एवं मुंबई स्थित कार्यालयों के अधिकारियों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी दे दी है.
गोल्ड लोन में बैंक अधिकारी की भूमिका. फील्ड आफिसर के जरिए गोल्ड लोन स्वीकृत किया जाता है. सोना की प्रमाणिकता का जिम्मा कैश आफिसर करते हैं. कैश आफिसर से यहीं पर चूक हो गयी. पिछले तीन वर्षों में किसी भी कैश आफिसर ने बैंक में सोना की शुद्धता की अपने स्तर से जांच नहीं की. बैंकिंग नियम में स्पष्ट है कि दुकानदार के भरोसा के विपरीत सोना की जांच बैंक अधिकारी बैंक में करेंगे. इसके लिए बैंक से अधिकारी को जांच का सामान उपलब्ध कराना है. एक कैश अधिकारी ने बताया कि सोना की जांच के लिए कैमिकल आदि सामग्री एक बार भी बैंक में उपलब्ध नहीं करायी गयी.
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
लोन लेने वालों की सोने की शुद्धता व मूल्य की जांच के लिए बैंक ने रहमगंज स्थित हीरालाल पन्नालाल दुकान से अनुबंध कर रखा है. बताया जाता है कि बैंककर्मियों व ग्राहकों की मिलीभगत से दुकानदार नकली सोना पर भी असली का मुहर लगाता रहा. इसके बदले उसे कमीशन दिये जाने की बात कही जा रही है.
बताया जा रहा है कि दुकानदार सोने के नकली जेवर खुद तैयार कर ग्राहकों को बैंक में जमा करने के लिए देता था. इसके एवज में उसे कमीशन मिल जाता था. कहा यह भी जाता है कि दूसरे लोगों को खड़ा कर दुकानदार ने भी गोल्ड लोन के नाम पर काफी रुपये बैंक से उठा रखा है. 2015 से ही दुकानदार बैंक की आंखों में धूल झोंककर अधिकारियों की मिलीभगत से यह कारोबार करता आ रहा है.
ऑडिट टीम को भी झांसा देने की हुई कोशिश
बताया जाता है कि ऑडिट टीम ने जब किसी दूसरे स्वर्णकार को सोने की जांच के लिए बुलाने को कहा, तो एक अधिकारी ने एक स्वर्णकार से संपर्क किया. जानकारी के अनुसार उक्त स्वर्णकार को इस मामले की भनक थी. उसने वहां जाने से इनकार कर दिया. इसके बाद दूसरे स्वर्णकार को लाया गया.
वैसे बताया जाता है कि जिस दुकान के नाम पर उसका परिचय दिया गया, वह फर्जी थी. यह स्वर्णकार जांच में नकली सोना को भी जब असली बता रहा था, तो ऑडिट टीम में शामिल एक जानकार अधिकारी चौंक गये. उन्होंने उससे पूछा कि आखिर काले रंग के जेवर को वह असली कैसे बता रहा है. इसके बाद कैरोमीटर मशीन का प्रबंध किया गया. मशीन ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया.

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