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भोरेर आलो को विश्व मानचित्र पर लाने की तैयारी, तीस्ता पर बनेगा ‘लंदन ब्रिज’

सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सपनो की परियोजना भोरेर आलो को राष्ट्रीय स्तर का नहीं अपितु अंतराष्ट्रीय स्तर का टूरिज्म हब बनाकर विश्व मानचित्र पर लाने की कवायद शुरू कर दी गयी है. विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे लंदन के टेम्स नदी पर बने पुल को हूबहू गाजलडोबा तीस्ता नदी […]

सिलीगुड़ी : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सपनो की परियोजना भोरेर आलो को राष्ट्रीय स्तर का नहीं अपितु अंतराष्ट्रीय स्तर का टूरिज्म हब बनाकर विश्व मानचित्र पर लाने की कवायद शुरू कर दी गयी है. विश्व भर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे लंदन के टेम्स नदी पर बने पुल को हूबहू गाजलडोबा तीस्ता नदी पर बनाने का निर्णय लिया गया है. गाजलडोबा में अंतराष्ट्रीय स्तर का टूरिज्म हब बनाये जाने से इलाके की आर्थिक स्थिति सुधरेगी. यह सपना संजोए स्थानीय लोग व किसान की पुल के लिए जमीन देने को तैयार हैं. राज्य पर्यटन मंत्रालय ने पुल निर्माण के लिए कदम बढ़ा दिया है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पिछले उत्तर बंगाल दौरे में गाजलडोबा भोरेर आलो परियोजना की सुध ली थी. उसके बाद से मंत्री गौतम देव इस परियोजना पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. गाजलडोबा में एक तरफ जंगल व दूसरी तरफ तीस्ता नदी व डैम के साथ यहां की प्राकृतिक छटा को देखकर मुख्यमंत्री ने पहले ही इसे देश का सबसे बड़ा टूरिज्म हब बनाने की घोषणा की थी. लेकिन राज्य पर्यटन मंत्रालय भोरेर आलो परियोजना को राष्ट्रीय स्तर का टूरिज्म हब तक ही सीमित नहीं रखना चाहती है. बल्कि लंदन के टेम्स नदी पर बने पुल की तरह तीस्ता नदी पर भी पुल बनाकर इसे विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाना चाह रही है.
मिली जानकारी के अनुसार इस पुल के निर्माण में 80 करोड़ रूपए खर्च होने के आसार हैं. पुल निर्माण के लिए गाजलडोबा स्थित तीस्ता बैरेज के उस पार मिलनपल्ली इलाका वासी व किसानों से जमीन की आवश्यकता होगी. पुल के लिए आवश्यक जमीन का अधिग्रहण सरकार को करना होगा. माना जा रहा है कि इस परियोजना को अंतराष्ट्रीय स्तर का बनाये जाने के बाद यहां की अर्थनीति को एक नयी दिशा मिलेगी. स्थानीय लोगों ने भी इस योजना का स्वागत किया है. सुनहरे भविष्य की चमकती तस्वीर देखकर गाजलडोबा मिलनपल्ली के निवासी व किसान उचित मुआवजे के बदले अपनी जमीन देने को भी तैयार हैं.
क्या कहना है मंत्री गौतम का
मंत्री गौतम देव ने बताया कि भोरेर आलो में प्रवेश करने के लिए कैनाल के लॉकगेट से सटे ब्रिज से होकर जाना पड़ता है. इसीलिए यहां एक फ्लाइ ओवर ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया है. जो लंदन के टेम्स नदी पर बने पुल की तरह होगा. इसके लिए स्थानीय कुछ दुकानदार व निवासियों को नुकसान होगा. ऐसे लोगों की सूची बनायी जा रही है. जमीन देने वालों को सरकारी नियमानुसार मुआवजा जायेगा.
अधिकांश काम पूरा होने के कगार पर
तीस्ता नदी की गोद में कुल 208 एकड़ जमीन पर भोरेर आलो परियोजना का काम काफी आगे निकल चुका है. युद्ध स्तर पर जारी निर्माण कार्य की वजह से यहां पर्यटकों के लिए कॉटेज, युवा आवास, बगीचा, पक्षी विहार, सड़क व गाजलडोबा से सरस्वतीपुर चाय बागान से होकर बंगाल सफारी पार्क तक जंगल सफारी के लिए सड़क व अन्य आवश्यक कार्य पूरा हो चुका है. हाथी सफारी, कार सफारी से लेकर मछली पड़कना, नौकाविहार आदि की भी योजना है. परियोजना के सामने तितर-बितर पड़ी दुकानों को आधुनिक रूप देने की कवायद भी तेज कर दी गयी है. इसके लिए यहां 47 दुकानदारों से भी विचार-विमर्श कर लिया गया है.
15 परिवार होंगे प्रभावित
इधर, इस पुल के लिए स्थानीय 15 परिवारों के जमीन की आवश्यकता है. जिसमें कुछ किसान की खेती व मछली पालन का तलाब भी शामिल है. सुनहरे भविष्य की आस में यह 15 परिवार अपनी जमीन देने को राजी हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि अंतराष्ट्रीय स्तर का टूरिज्म हब होने से कुछ समय के बाद गाजलडोबा की छवि भी परिवर्तित हो जायेगी. इस परियोजना से यहां की आर्थनीति को सकारात्मक बल मिलेगा. जिससे इलाके के लोगों का भी विकास होगा. इस परियोजना की सफलता से स्थानीय युवक-युवतियों को भी रोजगार मिलेगा व व्यवसाय बढ़ेगा. इसी वजह से स्थानीय लोग भी मुख्यमंत्री के सपनों की परियोजना भोरेर आलो से काफी आस लगाये बैठे हैं. क्षतिग्रस्त परिवारों की तालिका तैयार करने का निर्देश पर्यटन मंत्री ने स्थानीय विधायक खगेश्वर राय व मंत्रालय के अधिकारियों को दिया है.

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