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इन शिक्षकों के साथ दोहरी नीति क्यों

राष्ट्र के अनगढ़ माटी अर्थात बच्चों को राष्ट्र की आवश्यकता के अनुसार गढ़ने का ईश्वरीय कार्य शिक्षकों के हाथ में होता है. संविधान के अनुच्छेद-30 में अल्पसंख्यक विद्यालयों की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार स्पष्ट है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अल्पसंख्यक विद्यालयों को वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो एक पूर्ण सरकारी या राजकीयकृत विद्यालयों […]

राष्ट्र के अनगढ़ माटी अर्थात बच्चों को राष्ट्र की आवश्यकता के अनुसार गढ़ने का ईश्वरीय कार्य शिक्षकों के हाथ में होता है. संविधान के अनुच्छेद-30 में अल्पसंख्यक विद्यालयों की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार स्पष्ट है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार अल्पसंख्यक विद्यालयों को वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो एक पूर्ण सरकारी या राजकीयकृत विद्यालयों को.
अल्पसंख्यक विद्यालयों में जैन विद्यालय, सिख विद्यालय, बंगाली विद्यालय, उड़िया विद्यालय आदि अनेक प्रकार के विद्यालय हैं, जिनके शिक्षकों को पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिला है. केंद्र सरकार द्वारा 2016 में ही सातवां वेतनमान दिया जा चुका है. फिर इन शिक्षकों को किस गुनाह की सजा दी जा रही है कि अब तक इसे राज्य में लागू नहीं किया गया है? इन शिक्षकों को सातवां वेतनमान देने में इतनी देर क्यों?
देवेश कुमार ‘देव’, इसरी बाजार, गिरिडीह

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