भोपाल : मध्यप्रदेश में भोपाल और इंदौर सहित पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लगभग 1200 जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया. जूनियर डॉक्टर मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चतकालीन हड़ताल पर हैं. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सचेत सक्सेना ने मंगलवार को बताया कि सरकार जूनियर डॉक्टरों के प्रति दोहरा मापदंड अपना रही है.
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उन्होंने बताया कि एक तरफ तो हमें विद्यार्थी बताकर हमारा मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा है, वहीं हड़ताल पर जाने के बाद हमें सरकारी कर्मचारी मानकर और हमारी सेवाओं को अत्यावश्यक घोषित करते हुए एस्मा लागू कर दिया है. इसके साथ ही, हमारे पांच साथियों को सोमवार को ग्वालियर में बर्खास्त कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के विरोध में प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के पांचों सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लगभग 1200 जूनियर डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. उन्होंने बताया कि जूनियर डॉक्टर अपना मानदेय बढ़ाने के साथ ही मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा लगायी जा रही फीस कम करने तथा पोस्ट ग्रेजूएशन (पीजी) के बाद डॉक्टरों को ग्रामीण सेवा बांड के तहत दिये जा रहे मानदेय को 36,000 से बढ़ाकर 65,000 रुपये प्रतिमाह करने की मांग प्रमुख तौर पर है.
सक्सेना ने बताया कि प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफे सौंपने के बाद अपने होस्टल खाली करना शुरू कर दिया है. इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह से कई बार प्रयास करने के बावजूद संपर्क नहीं हो सका. मालूम हो कि राजधानी के हमीदिया अस्पताल सहित प्रदेश के पांच शासकीय मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ गयी हैं. मरीज परेशान हैं. ऑपरेशन टाल दिये गये हैं. इससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज और जांच की व्यवस्था बिगड़ गयी है.